अहमदाबाद
गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में दोषियों को शुक्रवार को सजा सुनाने का फैसला आ गया। अदालत ने 38 दोषियों को फांसी और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 8 फरवरी को सिटी सिविल कोर्ट ने 78 में से 49 आरोपियों को UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी करार दिया था। 28 आरोपियों को बरी कर दिया था। इस मामले में स्पेशल कोर्ट में 13 साल से सुनवाई चल रही थी।
खास बात यह है कि देश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में फांसी की सजा सुनाई गई है।
कोर्ट ने कहा कि इन धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए की सहायता दी जाएगी।
सीरियल ब्लास्ट में 78 आरोपी थे। एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था। इस कारण कुल 77 आरोपी बन गए थे। 13 साल तक चली सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। पुलिस और कानूनी एजेंसियों ने 6 हजार से ज्यादा सबूत पेश किए थे।
अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट के जज अंबालाल पटेल ने 6,752 पन्नों के फैसले में 49 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि 28 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। ये पहली बार है जब एक साथ 49 आरोपियों को आतंकवाद के आरोप में दोषी ठहराया गया है। दोषियों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और UAPA के तहत दोषी करार दिया गया है।
ये हुई थी घटना
26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर पहला बम धमाका हुआ था। ये धमाका मणिनगर में हुआ था। मणिनगर उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसक्षा क्षेत्र था। इसके बाद 70 मिनट तक 20 बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। ये बम धमाके इंडियन मुजाहिदीन ने 2002 में गोधरा कांड का बदला लेने के लिए किए थे। आतंकियों ने टिफिन में बम रखकर उसे साइकिल पर रख दिया था। भीड़ भाड़ और बाजार वाली जगहों पर ये धमाके हुए थे।
इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन (IM) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े आतंकी शामिल थे। धमाकों से 5 मिनट पहले आतंकियों ने न्यूज एजेंसियों को एक मेल भी किया था जिसमें लिखा था, ‘जो चाहो कर लो। रोक सकते हो तो रोक लो।‘
ब्लास्ट के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके के और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके के थे। जांच में पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।
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