मन दर्पण में मन के विचारों की अनुभूति को प्रतिच्छादित करने का प्रयास स्तुत्य है। मानवीय संवेदनाओं को शब्दों में निरुपित किया गया है। आत्मकथ्यात्मक शैली में विषयवस्तु की अन्तर्मन गहराइयों में उतरने का उद्यम श्रेष्ठतम है।
अजेय दुर्ग लोहागढ़, केवलादेव राष्ट्रीय अभ्यारण्य,अपना घर की सहजानुभूति को भावपूर्ण अभिव्यक्ति को अभिहित कर लेखक राजेश खंडेलवाल ने प्रशंसनीय कार्य किया है। वर्तमान परिवेश में नारी की वास्तविकता की पीड़ा तक अपने शब्दों में सुगढ़ता से मां सरस्वती नन्दन के श्रेष्ठतम प्रजापति चाक पर गढ़कर उसे शीशे में लगाकर समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया है।
बेरोजगार युवाओं के दर्द, किसान की वास्तविक स्थिति, रुपए का महत्व, गुरु, मतदाता और राजनीति के साथ पीतपत्रकारिता को भी मन दर्पण में बेहिचक दिखाकर इस पुस्तक में अच्छा मूल्यांकन किया गया है।
अस्तु:मन दर्पण की यह पुस्तक सामाजिक, पारिवारिक और राजनैतिक के साथ पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति की वास्तविक छवि को प्रदर्शित कर पाठकों को अच्छी सामग्री परोस रही है। इसलिए इसका पाठकों को नूतन लाभ प्राप्त होगा। पुस्तक के लेखन की सार्थकता श्रेष्ठतम होगी।