जीवन दर्शन…

जीवन मूल्य

  डॉ. शिखा अग्रवाल


कुछ नई जगहें, कुछ लोग नए,
सब से सीखा, कुछ नया नया,
इस यायावर जीवन से मैंने,
जाना दर्शन जीने का।

हंस कर जीना है बहुत सरल,
बेशक हंसने के कारण हैं,
उसके पीछे की पीड़ा को,
कभी आंखों तक ना आने दें।

कम बोलें, ज्यादा श्रवण करें,
सब की सुन कर ही बात करें,
धैर्य रखें कुछ कहने में,
दृढ़ता से अपनी बात रखें।

सब के हैं जीवन मूल्य अलग,
सब का पहनावा अलग अलग,
किसको कह दें हम सही गलत,
है अंतर मत का ही केवल।

रिश्तों को जोड़े रखने के,
हैं जतन सभी के बड़े अलग,
इक सी ही रीत नहीं दीखे,
जाना ये ही सब से मिलकर।

भाषा – बोली में भेद बहुत,
अनगिनती की भाषाएं हैं,
पर एक ज़ुबां है भावों में,
जो सब के मन की कहती हैं।

हैं पर्व अनोखे इस जग में,
मिलकर ये प्रीत बढ़ाते हैं,
इस रीत प्रीत से भारत में,
हम एक सूत्र बंध जाते हैं।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, सुजानगढ़ में सह आचार्य हैं)

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