ब्रज साहित्यकारों ने उठाई उत्तर प्रदेश में ब्रजभाषा अकादमी की मांग

मथुरा 

ब्रज साहित्य परिषद न्यास, परासौली, गोवर्धन द्वारा आनंदवन कॉलोनी मथुरा में ब्रजभाषा के वरिष्ठ साहित्यकारों की एक बैठक में ब्रज भाषा एवं ब्रज साहित्य के उन्नयन एवं परिवर्धन पर बृहद चर्चा की गई एवं जन जागृति हेतु अनेक निर्णय भी किए गए। बैठक में उत्तर प्रदेश में ब्रजभाषा अकादमी की मांग उठाई गई।

बैठक की अध्यक्षता ब्रजभाषा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दिनेश पाठक शशि ने की। उन्होंने राजस्थान से तुलना करते हुए कहा कि जयपुर में ब्रजभाषा अकादमी है, लेकिन मथुरा एवं मथुरा के आसपास 8 जिलों में ब्रजभाषा  बोली जाती है, फिर भी उत्तर प्रदेश के ब्रजक्षेत्र  में ब्रजभाषा अकादमी अभी तक नहीं खुल पाई है। सरकार को ब्रज क्षेत्र में ब्रजभाषा के संरक्षण हेतु यह सरकारी प्रतिष्ठान स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए।

बैठक में वरिष्ठ साहित्यकार एवं ब्रज के सुरीले गीतकार राधा गोविंद पाठक ने बृज भाषा के प्रति आमजन में छाई उदासीनता पर कहा कि ब्रजभाषा ने अपना समस्त वैभव हिंदी पर न्योछावर कर दिया है। वहीं आज ब्रज वासियों ने अपनी मूल ब्रजभाषा को भुलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है ।ब्रजभाषा 700 वर्षों से साहित्य की मूल भाषा रही है। यह सूर, कुंभन, नंददास, रसखान और मीरा की भाषा है। इसे पुनः प्रतिष्ठित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

ब्रजभाषा के जाने-माने व्यंग्यकार देवी प्रसाद गौड ने कहा ब्रज क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को ब्रजभाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में आगे आकर  कृष्ण की भाषा को उसकी खोई प्रतिष्ठा दिलाने के लिए पूर्ण प्रयास करने चाहिए एवं जन-जन को भी पूर्ण समर्पण के साथ आगे आना चाहिए।

न्यास के महामंत्री हरी बाबू ओम ने कहा कि  ब्रजभाषा की प्रतिष्ठा ब्रजभाषा के कलम पुत्रों द्वारा समर्पण भाव से की जानी चाहिए। बिना किसी स्वार्थ एवं लोभ लिप्सा के ब्रजभाषा साहित्यकारों को ब्रजभाषा के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ उत्साहित होकर कार्य करना  चाहिए और जनमानस में इस भाषा को पुनः स्थापित करना चाहिए।

ब्रजभाषा के कवि गोपाल प्रसाद गोप ने कहा कि हमें ब्रज साहित्य को समृद्ध करने के लिए इसमें नवाचार एवं नवीन प्रयोग करने होंगे। जिससे आमजन ब्रजभाषा के प्रति आकर्षित हो सकें एवं इसे आत्मसात कर सकें।

राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी जयपुर की पत्रिका ब्रजशतदल के सहयोगी संपादक एवं साहित्यकार डॉ.अंजीव अंजुम ने कहा कि ब्रजभाषा को उसकी खोई प्रतिष्ठा दिलवाने के लिए  संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का हमें प्रयास करना चाहिए। इस कार्य के लिए जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी लेना होगा। एवं ब्रजभाषा  की समृद्धता एवं प्रतिष्ठा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करना होगा। अंजुम ने कहा कि ब्रज क्षेत्र के विद्यालयों में ब्रज भाषा पर प्रतियोगिताओं का आयोजन करने से ब्रजभाषा से अछूती एवं दूर होती नवीन पीढ़ी को भी इसमें रुचि प्रकट हो ऐसा भी हमारा प्रयास होना चाहिए।

इस अवसर पर युवा साहित्यकार नारायण सिंह ने सभी साहित्यकारों का स्वागत किया एवं ब्रजभाषा उन्नयन एवं संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास की बात कही। केके सिंह एवं हरेंद्र सिकरवार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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