SC की राहुल को फटकार; पूछा— चीन ने भारत की 2000 किमी जमीन हड़पी, ये आपको कैसे पता? | कोई पुख्ता जानकारी है? ‘अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते’

नई दिल्ली 

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सोमवार को ऐसा झटका दिया कि संसद से लेकर सोशल मीडिया तक खलबली मच गई। तीन साल से चीन पर ज़मीन हड़पने का राग अलाप रहे राहुल से सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक पूछा — “आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 किमी जमीन कब्जा ली? कोई सबूत है आपके पास?”

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सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की पीठ ने राहुल गांधी को जमकर फटकार लगाई और कहा —
👉 “अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा बयान कभी नहीं देते!”
👉 “विपक्ष के नेता होकर आप ये बातें मीडिया या सोशल मीडिया पर क्यों कह रहे हैं? संसद में क्यों नहीं पूछते?”

राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बचाव में कहा कि “उन्होंने संसद में बोलने की छूट पाने के लिए चुनाव नहीं लड़ा!” इस पर अदालत ने और तीखा तंज कसा —
“तो क्या अब हर कोई अखबारों की खबरों पर देश की सेना पर उंगली उठाने लगे?”

बयान से बवाल, अब मानहानि की मार

दरअसल, राहुल गांधी के खिलाफ एक मानहानि का केस चल रहा है। आरोप है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ने सेना पर ‘गंभीर आरोप’ लगाए — उन्होंने दावा किया कि एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने उन्हें बताया कि चीन ने 2,000 वर्ग किमी भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है।

इसी बयान पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीखे सवालों की बौछार कर दी। कोर्ट ने कहा —
“आप विपक्षी नेता हैं, लेकिन आपको जिम्मेदारी से बोलना चाहिए। आपके बयान से अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ सकता है। क्या आपके पास कोई पुख्ता जानकारी है?”

सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा राहुल गांधी से:

  • “आप सोशल मीडिया पर आरोप क्यों लगा रहे हैं? संसद में क्यों नहीं कहते?”

  • “क्या आपके पास चीन के कब्जे का कोई आधिकारिक सबूत है?”

  • “सिर्फ किसी अखबार में छपी बातों को उठाकर आप सेना की छवि क्यों खराब कर रहे हैं?”

  • “अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसे गैर-जिम्मेदार बयान नहीं देते।”

सिंघवी की दलीलें और कोर्ट की चुटकी

राहुल गांधी की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा —
“अगर विपक्ष सवाल नहीं पूछेगा तो लोकतंत्र बेमानी हो जाएगा।”
इस पर अदालत ने कहा — “सवाल संसद में पूछिए, सोशल मीडिया पर नहीं।”

सिंघवी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी का बयान बेहतर तरीके से रखा जा सकता था, लेकिन यह बयान उठाने पर मानहानि केस दर्ज कर देना, लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है।

कोर्ट का अंतरिम फैसला: राहत, लेकिन चेतावनी के साथ

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी, लेकिन मामला खत्म नहीं हुआ।
अब तीन हफ्ते बाद दोबारा सुनवाई होगी। तब तक कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर दिया है।

फ़िलहाल राहुल गांधी की ‘चीन की जमीन’ वाली जंग कोर्ट की चौखट पर अटक गई है। सवाल वही है — क्या यह ‘राष्ट्रभक्ति’ की आड़ में लूज टॉक है या सत्ता की कमजोरी पर सीधा वार? लेकिन फिलहाल तो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यही कहकर जता दिया — “सबूत नहीं तो चुप रहिए, यह भारत है ट्विटर नहीं!”

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