फागुन के रंगीन मौसम में प्रियतमा अपने प्रियतम से प्रेम की होली खेलने को विह्ल हो उठती है। फिल्म ‘मदर इण्डिया’ में गीतकार नायिका की इच्छा को इन शब्दों में व्यक्त करता है-
‘होली आई रे कन्हाई रंग छलके,
सुना दे जरा बांसुरी, होली आई रे…
बरसे गुलाल रंग मोरे अंगनवा
अपने ही रंग में रंग दे, मोहे सजनवा,
तोरे कारन घर से आई, रंग छलके,
सुना दे जरा बांसुरी,
होली आई रे…
इसी गीत के एक दृश्य में नायिका अपने प्रियतम से अपनी चुनरी पर ऐसा रंग डलवाना चाहती है जो कभी न छूटे-
‘छूटे न रंग ऐसी रंग दे चुनरिया,
धोबनिया धोये चाहे सारी उमरिया,
मोहे आए ना रंग हलके रंग छलके,
सुना दे जरा बांसुरी…होली आई रे…’