नए साल में देर से आएंगे हमारे ये ख़ास त्यौहार, यह है इसकी वजह | वीकेंड पर आएंगे ये फेस्टिवल

नए साल यानी 2023 में हमारे प्रमुख त्यौहार देर से आएंगे। और यह फर्क उन्नीस साल बाद देखने को मिलेगा। रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, गणेश उत्सव,

जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को बचाने के लिए मुनि ने त्यागे प्राण, दस  दिन से आमरण अनशन पर थे

झारखंड में जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाए जाने के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच एक दुखद खबर सामने आ रही है। सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में कोर्ट का बड़ा आदेश, हिंदू सेना की याचिका पर आया ये फैसला

मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले को लेकर हिंदू सेना की याचिका पर जिला कोर्ट का शनिवार को बड़ा फैसला आया। कोर्ट ने आदेश दिया है कि

साल का आखिरी चंद्र ग्रहण कल, जानिए ग्रहण का सटीक समय | इतने बजे बंद हो जाएंगे मंदिरों के पट

साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन यानी मंगलवार को लगने जा रहा है। वह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। चंद्र ग्रहण से ठीक

भाई दूज आज और कल दोनों दिन, जानें टीका करने का मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार भाई को यम द्वितीया भी कहते हैं इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र का आशीष देती हैं और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का

इन आसान स्टेप्स को फॉलो करें और मनाएं यह दिवाली नेचर वाली

आज हम बताएंगे कि दिवाली के इस सीजन कैसे आप एनवायरमेंट और इकोलॉजी को हेल्दी रख सकते हैं। और प्रकृति का ख्याल कर सकते हैं… इस दिवाली कुछ ऐसा

 हर दिन दिवाली

‘असतो मा सदगमय’ यही समझाए
अंधेरे से उजाले की ओर चलते जाएं

केसू बड़े कमल के फूल मेरी झांझी ऐ ब्याहन आए

झांझी शब्द, सांझी का अपभ्रंश है या कि नहीं यह मेरे लिए यक्षप्रश्न है ? मेरा बचपन अटूट ब्रज संस्कृति से पोषित है । कल अमावस के अपराह्न, संध्या से पूर्व ही हमारे यहाॅं दीवार पर गाय के

Navratri 2022: सितम्बर में इस तिथि से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि, जानें इस बार किस पर सवार होकर आएंगी मां

माता जगदंबा का पर्व नवरात्रि साल में चार बार मनाया जाता है। एक चैत्र और दूसरी शारदीय नवरात्रि होती है। वहीं, बीच में दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। मां दुर्गा के भक्तों को

इस समय राज आपका और सवाल आपसे ही पूछा जाएगा सरकार!

भरतपुर जिले की पौराणिक नगरी डीग क्षेत्र के आदिबद्री धाम और कनकांचल की रक्षा के लिए आखिर प्रकृति प्रेमी और धर्मनिष्ठ संत बाबा विजयदास का