नई दिल्ली
जर्मनी में रहने वाली एक प्रवासी भारतीय के दिल्ली में ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित आइसीआइसीआइ (ICICI) बैंक खाते से धोखाधड़ी कर 1.35 करोड़ रुपए निकलने का एक और बड़ा मामला सामने आया है। इसमें भी बैंक के एक कर्मचारी की मिलीभगत सामने आई है। पुलिस ने इस मामले में इस बैंक के एक कर्मचारी सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों के खिलाफ शिकायत थी कि इन्होंने मिलकर इस प्रवासी भारतीय के खाते से 1.35 करोड़ निकाल लिए। इस शिकायत के बाद साइबर पुलिस ने ये एक्शन लिया।
रुपए निकालने के लिए खोल ली थी फर्जी कम्पनी
एनआरआइ के खाते से संबद्ध् मोबाइल बंद हो जाने पर बैंक कर्मी ने अपने दाेस्त को उक्त नंबर का सिमकार्ड हासिल करने, खाते में जमा धनराशि का विवरण व उसे निकालने के तौर तरीके के बारे में जानकारी दी थी। जिसके बाद सभी ने साजिश रच वारदात को अंजाम दिया। इन लोगों ने खाते से पूरी रकम निकाल ली। रुपए निकालने के लिए आरोपितों ने फरीदाबाद में वर्कफोर्स इंडिया प्राइवेट नाम से फर्जी कंपनी खोली थी।
पुलिस के अनुसार आरोपियों की पहचान लालकुआं, गाजियाबाद निवासी सुमित पांडे (24), दिल्ली के शास्त्री नगर निवासी शैलेंद्र प्रताप सिंह (42), हरियाणा के सोहना की नीलम (32), मऊ (उत्तर प्रदेश) के जगदंबा प्रसाद पांडे (22) और आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) के आदर्श जायसवाल (23) के रूप में हुई है। सुमित पांडे राजेंद्र नगर स्थित आइसीआइसीआइ बैंक में कर्मचारी था। घटना के बाद उसे निकाल दिया गया।
ऐसे खुला फ्रॉड का राज
पुलिस के मुताबिक जर्मनी की रहने वाली कनिका गिरधर की शिकायत पर 13 नवंबर 2020 को राजिंदर नगर थाने में मामला दर्ज किया गया था। शिकायत में कहा था कि जब उन्होंने अपने खाते में रकम की जांच करनी चाही तो सही पासवर्ड के अभाव में उन्हें जानकारी नहीं मिल पाई। बैंक के अधिकारियों से संपर्क करने पर पता चला कि उनकी एफडी से पूरी रकम निकाल ली गई। आनलाइन ट्रांसफर, चेक व एटीएम के माध्यम से 1.35 करोड़ रुपए निकाले गए। उनके खाते के लिए नया चेक बुक व नया एटीएम कार्ड जारी किया गया था। चेक बुक व एटीएम कार्ड विशाल नाम के व्यक्ति को दिया गया जिसने अपना परिचय शिकायतकर्ता के भाई के रूप में दिया था। जबकि कनिका ने बैंक से चेक बुक या एटीएम कार्ड जारी करने के लिए कोई अनुरोध नहीं किया था। उनकी कोई भाई-बहन नहीं है। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी साइबर सेल जांच की जिम्मेदारी सौंपी।
पहले पकड़ा बैंककर्मी, फिर उसने उगला राज
जांच में बैंक से प्राप्त विवरण व तकनीकी निगरानी के आधार पर वास्तविक अपराधी की पहचान सुमित पांडेय के रूप में हुई जो उस आईसीआईसीआई बैंक का कर्मचारी था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने बताया कि उसने बैंक में अपनी आधिकारिक स्थिति का लाभ उठाकर शिकायतकर्ता के खाते के विवरण तक पहुंच प्राप्त की और शिकायतकर्ता के बैंक खाते से संबंधित प्रासंगिक जानकारी अपने दोस्त शैलेंद्र प्रताप सिंह को दी थी। उसने सुरेश सिंह यानी सिंडिकेट के सरगना व अन्य को साजिश में शामिल किया। शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बड़खल चौक, फरीदाबाद में किराए पर कार्यालय लेकर उसमें वर्कफोर्स इंडिया प्राइवेट नाम से फर्जी कंपनी खोल ली।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
उक्त कंपनी में कई मजदूरों के काम करने संबंधी दस्तावेज तैयार किया और अपने दो सहयोगियों जगदंबा प्रसाद पांडे और राहुल को वहां प्रबंधकों के रूप में नियुक्त किया। दस मजदूरों के नाम पर इक्विटास स्माल फाइनेंस बैंक, एयू स्माल फाइनेंस बैंक, एचडीएफसी बैंक व आइसीआइसीआइ बैंक में खाते खुलवाए। इसके बाद उन्होंने शिकायतकर्ता के खाते का पंजीकृत मोबाइल नंबर एक मजदूर के नाम पर फिर से जारी करवाया और उस सिम पर पीड़ित के खाते की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा ले ली। पीड़िता कनिका का नंबर तीन महीने से उपयोग में नहीं था इस कारण नंबर निष्क्रिय मोड में चला गया था।
महिला आरोपी बनी खाताधारक ‘कनिका’
इन पांच आरोपियों में से हरियाणा की नीलम ने एमएड तक पढ़ाई की है। महिला होने के नाते उसने पीड़ित कनिका गिरधर के रूप में खुद को प्रतिरूपण किया। कस्टमर केयर नंबर डायल करके नई चेक बुक और एटीएम कार्ड का अनुरोध किया था।
… और खेल के इन दो किरदार ने यह भूमिका अदा की
इस खेल के एक और किरदार जगदंबा प्रसाद पांडे पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर, यूपी से संस्कृत आनर्स में स्नातक है। उसने निर्माण क्षेत्र में नौकरी दिलाने के नाम पर दस मजदूरों को काम पर रखा और अलग-अलग बैंक में उनके खाते खुलवाए जिसमें पीड़ित की राशि बाद में ट्रांसफर कर दी गई। इसने व आदर्श जायसवाल ने मजदूरों के खातों के एटीएम का उपयोग करके एटीएम कियोस्क से धोखाधड़ी कर राशि निकाली।
ऐसा ही खेल एक और आरोपित आदर्श जायसवाल ने किया। आदर्श जायसवाल ने पूर्वांचल विश्वविद्यालय से बीए तक की पढ़ाई की है। उसने जगदंबा पांडे के साथ मिलकर निर्माण क्षेत्र में नौकरी दिलाने के नाम पर श्रमिक चौक फरीदाबाद, हरियाणा में मजदूरों को काम पर रखा और उनका खाता खुलवाया और जगदंबा पांडे के साथ मिलकर पीड़ित और मजदूरों के खाते से रकम निकाली।
बैंक के इस किरदार ने ऐसे बुना जाल
आरोपी बैंक कर्मचारी सुमित पांडे ने पूर्वांचल विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक किया है। उसने आइसीआइसीआइ बैंक, ओल्ड राजेंद्र नगर में अपने आधिकारिक पद का लाभ उठाकर पीड़ित के खाते का विवरण प्राप्त किया और अपने दोस्त शैलेंद्र प्रताप सिंह से खाते से पैसे निकालने के इरादे से विवरण साझा किया। शैलेंद्र प्रताप सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.काम) है। वह सुमित पांडे का दोस्त है जिसने पीड़ित के बैंक खाते का विवरण अन्य आरोपित जगदंबा पांडे और राहुल से साझा किया। उसी ने पीड़िता कनिका गिरधर की चेक बुक पर फर्जी हस्ताक्षर किए थे।
…और इससे पहले एक गिरोह ऐसा पकड़ा
आपको बता दें कि इससे पहले दिल्ली में ही पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था जो बैंक में अधिक जमापूंजी वाले एनआरआई खातों पर खास नजर रखता था और इस जुगाड़ में रहता था कि इन NRI के खातों को कैसे साफ़ किया जाए। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में HDFC बैंक के 3 कर्मचारी समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह NRI खाते से 66 बार पैसे उड़ाने की कोशिश कर चुका था। यह गिरोह तब पकड़ में आया जब अमेरिका में रहने वाले एक एनआरआई के खाते से फर्जी चेक बुक और अमेरिकी फोन नंबर के जैसा भारतीय नंबर प्राप्त कर धनराशि की निकासी के प्रयास किए जा रहे थे।
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