नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा कि अगर सही तरीके से लिए गए फैसले गलत हो जाते हैं तो बैंक अधिकारियों (Bank Officials) पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। मंत्रालय ने 50 करोड़ रुपए तक के एनपीए खातों के लिए समान कर्मचारी जवाबदेही नियम जारी किए हैं। ये नियम 1 अप्रेल, 2022 से लागू किए जाएंगे।
सरकार ने ईमानदार बैंककर्मियों को मानसिक प्रताड़ना और अन्य दिक्कतों से बचाने के लिए यह कदम उठाया है। इसके लिए सरकार ने स्टाफ अकाउंटेबिलिटी फ्रेमवर्क यानी कर्मचारी उत्तरदायित्व ढांचा पेश किया है। इसके तहत वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बैंककर्मियों द्वारा सही उद्देश्य और तरीके से लिए गए 50 करोड़ रुपए तक के कर्ज फैसले अगर गलत भी हो जाते हैं, तो उन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
मंत्रालय द्वारा जारी नियमों के अनुसार इसके दायरे में केवल सही तरीके से लिए जाने वाले फैसले ही आएंगे। गलत इरादे से लिए गए फैसले इसमें शामिल नहीं होंगे। इन दिशा निर्देशों को अगले वित्त वर्ष से एनपीए में बदलने वाले खातों के लिए पहली अप्रेल, 2022 से लागू किया जाएगा।
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आइबीए) ने एक बयान में कहा कि वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने हाल ही में यह आदेश जारी किया है। इसमें सभी सरकारी बैंकों द्वारा 50 करोड़ रुपए तक के एनपीए खातों के लिए कर्मचारी उत्तरदायित्व ढांचे पर व्यापक दिशा-निर्देशों को अपनाने की सलाह दी गई है। इनमें धोखाधड़ी के मामले शामिल नहीं किए जाएंगे।
6 महीने में तय करनी होगी जवाबदेही
आईबीए ने कहा कि बैंकों को खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत करने की तारीख से छह महीने के भीतर कर्मचारियों की जवाबदेही का काम पूरा करना होगा। नए नियमों के तहत वित्त सेवा विभाग ने बैंकों के व्यवसाय के आकार के आधार पर मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) की ओर से जवाबदेही की जांच के लिए थ्रेसहोल्ड लिमिट की सलाह दी है।
पिछले ट्रैक रिकार्ड को भी दी जाएगी अहमियत
आईबीए ने कहा कि मूल्यांकन, मंजूरी या निगरानी में अधिकारियों के पिछले ट्रैक रिकार्ड को भी अहमियत दी जाएगी। इस समय विभिन्न बैंक स्टाफ जवाबदेही के लिए अलग-अलग प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं। साथ ही एनपीए बनने वाले सभी खातों के संबंध में कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जा रही है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा है कि नियमों के अनुसार संरचना के दायरे में केवल सही तरीके से लिए जाने वाले फैसले ही आएंगे। लेकिन लापरवाही और मिलीभगत से कर्ज के एनपीए होने पर बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी को एक कर्ज के एनपीए में तब्दील होने पर लोन घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यानी लापरवाही और मिलीभगत से कर्ज के एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) होने पर अब बैंक के अधिकारियों (कर्मचारी) पर कार्रवाई हो सकेगी। हालांकि, सही तरीके से लिए गए फैसले गलत होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
बैंकों को इन निर्देशों के आधार पर अपने कर्मचारी जवाबदेही नीतियों को संशोधन करने और संबंधित बोर्ड की मंजूरी से प्रक्रियाओं को तैयार करने को कहा गया है। नए नियमों के मुताबिक, एनपीए खातों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। 10 लाख रुपए तक, 10 लाख से एक करोड़ रुपए तक और एक करोड़ रुपए से 50 करोड़ रुपए तक।
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