अहमदाबाद
गुजरात हाईकोर्ट ने भारत सरकार के रजिस्ट्रार को आदर्श क्रेडिट सोसायटी के मामले में पुनः आदेश दिए हैं कि इस प्रकरण में सोसायटी के पीड़ितों की दूसरी संस्था आदर्श मेंबर एसोसिएशन (AMA ) का भी पक्ष सुना जाए। अदालत ने इसके लिए रजिस्ट्रार को 6 सप्ताह का समय दिया है।
इस मामले में आदर्श मेंबर एसोसिएशन (AMA ) के अध्यक्ष नीरव सोनी ने अदालत के समक्ष एक प्रार्थना पत्र लगाया था कि भारत सरकार के रजिस्ट्रार को अदालत ने पिछली बार 4. 3. 2020 को भी AMA का पक्ष सुनने का आदेश दिया था, लेकिन रजिस्ट्रार ने आज तक उनका पक्ष सुनने के लिए नहीं बुलाया। इस पर गुजरात हाईकोर्ट ने भारत सरकार के रजिस्ट्रार को दुबारा आदेश दिए कि AMA का पक्ष सुना जाए। इसके लिए कोर्ट ने रजिस्ट्रार को 6 सप्ताह का समय दिया है।
आदर्श मेंबर एसोसिएशन (AMA ) के अध्यक्ष नीरव सोनी की मांग है कि सभी निवेशकों को उनका भुगतान किया जाए और आदर्श क्रेडिट सोसायटी को पुनः चालू किया जाए।
आपको बता दें इसी मामले में एडवायजर वेलफेयर एसोसिएशन ट्रस्ट के अध्यक्ष केके मेहता की भी याचिका लगी हुई है। अब आदर्श मेंबर एसोसिएशन (AMA ) के अध्यक्ष नीरव सोनी भी चाहते हैं कि उनके संगठन की बात भी सुनी जाए। इस बीच आदर्श क्रेडिट पीड़ित संघर्ष समिति की ओर से सीएम वर्मा ने भी एक एप्लीकेशन 23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में लगाईं थी जो एसेप्ट कर ली गई है। एक ग्रीविएंस न्याय एवं भुगतान के लिए यह एप्लीकेशन लगाई गई थी।
सांसदों, मंत्रियों और अधिकारियों को ज्ञापन देने का अभियान
इधर आदर्श क्रेडिट सोसायटी के लाखों निवेशकों ने बड़े पैमाने पर पूरे देशभर में सांसदों, मंत्रियों और अधिकारियों को ज्ञापन देने का अभियान चला रखा है। ज्ञापनों में पीड़ित निवेशक उनकी जमा पूँजी को वापस दिलाने और सोसायटी को पुनः संचालित करने के मांग कर रहे हैं।
बांसवाड़ा में ऐसे ही आदर्श पीड़ित सदस्यों ने एडवाइजर वेलफेयर एसोसिएशन ट्रस्ट के माध्यम से कलक्टर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। जिसमें पीड़ितों ने अपनी व्यथा बताई है। ज्ञापन में आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (मल्टीस्टेट ) सहकारी समिति को नियमित कर 21 लाख पीड़ित मेम्बर को भुगतान दिलवाने और रोजगार दिलवाने की मांग की गई है।
उन्होंने ज्ञापन में बताया कि आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी पूरे हिंदुस्तान में 809 शाखाओं के साथ 21 लाख सदस्य 4 लाख एडवाइजर, 4 हजार के ऑफिस स्टाफ के साथ निरंतर 20 साल से समय पर भुगतान देती चली आ रही थी। लेकिन सेंट्रल रजिस्ट्रार ने बिना जांच किए और सोसायटी का बिना पक्ष सुने ही तुरंत सोसायटी पर नियम के खिलाफ लिक्विडेशन का आदेश कर दिया गया। जबकि सोसायटी निरंतर अपने सदस्यों को लाभांश दे रही थी और बैलेंस शीट लगातार लाभांश में ही रही है।
ज्ञापन देने के दौरान नीलेश राजोरा, मुकेश टीलवानी, तेजपाल जैन, यशवन्त भावसार, अनिल चौधरी, सुधीर जैन, जितेंद्र जोशी, लक्ष्मीकांत भावसार, रामलाल जोशी, नरेंद्र कलाल, नवरतन, इम्तियाज मोहमद, खलील, विकास भोई, सुलोचना गांधी, विनोद भगत, रमेश गांधी मौजूद रहे।
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