पथैना में है ऐसी गुफा जिसे द्वारिकाधीशजी का माना जाता है प्रवेश द्वार, इसका अन्तिम छोर आज तक नहीं मिला

आस्था 

विष्णु मित्तल  


भरतपुर-अलवर-दौसा जिला की सीमा पर भरतपुर जिला के गांव पथैना से करीब तीन किमी दूर काला पहाड़ की तलहटी में स्थित श्री धनेरी गुफा वाला हनुमान मंदिर आस्था का केन्द्र है। ऐसा माना जाता है कि यह गुफा भगवान श्री कृष्ण-बलराम युग की है। ऐसी मान्यता है कि यह द्वारिकाधीश का प्रवेश द्वार है। इसे लेकर अनेक किवदंती हैं। इनमें एक किवदंती है कि रात्रि के समय गुफा से शंख, झालर-घन्टा की ध्वनियां सुनाई देती हैं। यहां हिंसक  जंगली जानवरों का बसेरा है और मयूर-वानरों की स्थली है। सूर्य अस्त होते ही गुफा के अन्दर कोई प्रवेश नहीं करता। सूर्य के उदय से अस्त होने  तक प्रतिदिन सन्त एवं श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। मंगलवार-शनिवार एवं अमावस्या-पूर्णिमा को श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है।

भरतपुर रियासत के महाराजा बृजेन्द्रसिंह वर्ष 1946-47 में गांव पथैना आए। पथैना को  भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल के चचेरे भाई शार्दुलसिंह ने बसाया था। महाराजा बृजेन्द्रसिंह से तत्कालीन गांव के ठाकुर धु्रवसिंह प्रधान ने कालिया पर्वत एवं गुफा की चर्चा की। इस पर महाराजा बृजेन्द्रसिंह ने काला पहाड़ की गुफा का रहस्य उजागर की ठान ली। गांव पथैना के सरपंच  स्नेहलता बृजेश सिंह तथा पूर्व सरपंच गुड्डी जितेन्द्रसिंह के अनुसार गांव के बुजुर्ग बताते हैं कुछ दिन बाद ही महाराजा बृजेन्द्रसिंह के कर्मचारी व सैनिक दो सौ पीपा तेल लेकर आए। 500 सौ से अधिक कर्मचारी व सैनिकों ने अलाव जला गुफा में प्रवेश किया।15-20 दिन गुजर गए, लेकिन गुफा का अन्त नहीं  मिला। इस पर महाराजा ने सभी को वापिस बुला लिया। गुफा से सौ से कम ही लोग वापिस आए,जो गुफा में रह गए, उनका रहस्य आज चर्चा का विषय है। अब गांव के लोगों ने गुफा के मुख्य दरवाजा पर कुछ हिस्सा छोड़ कर दीवार चिनवा दी। जिससे हिंसक जानवर बाहर नहीं आएं। दरवाजा के पास प्राचीन हनुमान की प्रतिमा है।

गिर्राज जी का लघु भ्राता हैं कालिया
गांव पथैना निवासी ठाकुर भूपेन्द्रसिंह प्रधान एवं ठाकुर दर्यावसिंह ने बताया काला पहाड़ ही कालिया महाराज है,जो गोर्वधन पर्वत का लघु भ्राता कहलाता है। गोवर्धन की सात कोसीय परिक्रमा की भांति काला पहाड़ की 14 कोसीय परिक्रमा लगाते हैं। जिस परिक्रमा में गुफा वाला हनुमान की पहाड़ी की दो कोस की परिक्रमा में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक रहती है। कालिया महाराज पर्वत व गुफा की कई किवदंती हैं। उन्होंने  बताया कि गांव के बुजुर्ग लोगों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी यही सुनते आए हैं कि भगवान श्रीराम द्वारा लंका पर चढ़ाई  के लिए नल-नील के सहयोग से समुद्र पर पुल का निर्माण कराया जा रहा था, जब राजा सुग्रीव के आदेश पर हनुमान, अंगद सहित अन्य वानर हिमाचल से पर्वत ला रहे थे। समुद्र का कार्य पूर्ण होते ही श्रीराम ने आदेश दिए कि अब पर्वत नहीं लाएं, जो रास्ता में लेकर चल रहे हैं, उन्हें  उसी स्थान पर छोड़ आएं। आदेश की पालना करते हुए हनुमान जी ने  गोर्वधन एवं अंगद जी ने काला पहाड़ उसी स्थान पर रख दिए। दोनों  पर्वत रोए कि हम भगवान श्रीराम के दर्शन एवं उनके चरण स्पर्श के भूखे है। हनुमान व अंगद ने दोनों  पर्वत को अगले युग में भगवान के दर्शन तथा कलियुग में पूजा जाने का वरदान दिया। आज गोर्वधन पर्वत मथुरा-भरतपुर जिला तथा काला पहाड़ भरतपुर-दौसा जिला की सीमा में स्थित है और ये कलियुग में पूजे  जा रहे हैं।

मोटा रोठ का चढ़ावा
गांव पथैना सहित आसपास के गांव के लोग  एवं सन्त गुफा वाला हनुमान के दर्शन तथा कालिया महाराज की दो कोस की परिक्रमा देते आते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होने पर प्रसादी में माटा रोठ चढ़ाते हैं। गांव के सतेन्द्रसिंह व गजेन्द्रसिंह ने बताया कि मंगलवार-शनिवार सहित अमावस्या-पूर्णिमा के दिन गुफा वाला हनुमान की परिक्रमा देने एवं दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जिसकीमनोकामनाएं पूरी होती हैं, वह आटा से रोठ की प्रसादी चढ़ाता  है।

पेड़ों को तोड़ना पाप
गांव पथैना निवासी शिवओम गुप्ता एवं जीतेन्द्रसिंह ने बताया कि कालिया महाराज की धनेरी गुफा का  पांच किमी क्षेत्रफल हरियाली युक्त है, जहां अनेक प्रकार के पेड़ हैं।  बड़ी तादाद में मोर हैं। श्रद्धालु  व सन्त पेड़  की डालियां व पत्तियां तोड़ना पाप समझते है। कोई भी व्यक्ति सूखे पेड़ की लकड़ी भी नहीं  ले जा सकता है। सूखी लकड़ी केवल धुना में जलती है और सामूहिक धार्मिक में उपयोग लेते हैं। कालिया पर्वत की  तलहटी में अनेक जरख, बघेरा, लोमडी, वनविलाव, सियार, अजगर, कोबरा, मोर, तोता, भेडिया आदि हैं। ये केवल किसी के सताने  एवं पागल होने पर ही आमजन पर हमला करते हैं।

कालिया पर्वत भरतपुर जिले के अलावा दौसा व अलवर जिला की सीमा में फैला हुआ है। पथैना, बबेखर, महाराजपुरा, सामन्तपुरा, अलीपुर, खोहरा, झारोटी, जसवर, सुआकी, नारौली, महमदपुर, हीरापुरा, खातीपुरा तथा दौसा जिला के पाली, सालिमपुर आदि गांव हैं।

श्री वनखण्डी आश्रम के सन्त रविनाथदास ने बताया कि कालिया पर्वत भगवान श्रीराम तथा श्रीकृष्ण की लीलाओं की गाथाओं से भरा पड़ा है। धनेरी गुफा हनुमान के दर्शन व परिक्रमा मार्ग आस्था का केन्द्र है। देवनारायण के सन्त गिरवरदास ने बताया कि ब्रज भूमि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से भरपूर है, जहां भी जाओ वहां गाथा सुनने को मिल जाएगी। सन्त रामदास व गरीबादास ने बताया कि काला पहाड़ की 21 कोस तथा गुफा वाला हनुमान की दो कोस की परिक्रमा मार्ग सन्त समाज की तपस्या स्थली है। अनेक सन्त की आज भी समाधियां हैं।




 

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