भरतपुर
उड़ीसा के कटक में जिस शख्स को मृत मानकर ब्रह्मभोज कर दिया गया वह शख्स भरतपुर के अपना घर आश्रम में मिल गया। उड़ीसा से जब बेटा पिता को लेने यहां पहुंचा पिता-पुत्र दोनों भाव विह्वल हो उठे। बेटा पिता को देखकर बिलख-बिलख कर रोने लगा। उसकी मां भी 25 साल से विधवा का जीवन जी रही थी। अब इन सबका घर खुशियों से भर गया है।
दरअसल उड़ीसा के कटक के एक गांव बेल्लिसही से सोमेश्वर दास मानसिक स्थिति खराब होने के के कारण 25 साल पहले घर से लापता हो गए थे। परिजनों ने उड़ीसा समेत पास के सभी राज्यों में करीब चार साल तक तलाश कराई, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। आखिर परिजनों ने सोमेश्वर दास के मिलने की उम्मीद छोड़ दी। जब वह लापता हुए तो 34 साल के थे और अब साठ साल के हो गए हैं।
आखिर में सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार 24 साल बाद उन्हें मृत समझकर उनका ब्रह्मभोज भी कर दिया। पत्नी अपने पति को मृत समझकर विधवा की तरह जीवन जीने लगी, लेकिन एक माह पूर्व अपना घर आश्रम से पहुंचे एक फोन ने उनके जीवन में फिर से खुशियां भर दी। सूचना पाकर कटक से अब साठ साल के हो चुके सोमेश्वर दास का बेटा उन्हें लेने के लिए अपना घर आश्रम पहुंचा और पिता को देखकर खुशी से रोने लगा। बेटा अपने पिता को साथ लेकर खुशी खुशी अपने घर के लिए रवाना हो गया।
अपना घर आश्रम पहुंचे बेटा संतोष दास का कहना है कि उनके यहां एक मान्यता है कि यदि 12 साल तक कोई लापता व्यक्ति नहीं मिले, तो उसे मृत समझकर बृह्मभोज दिया जाता है। लेकिन माता को विश्वास था कि सोमेश्वर दास जरूर मिलेंगे। आखिर में 24 साल गुजरने के बाद उन्हें सामाजिक मान्यता के अनुसार सोमेश्वर दास को मृत समझ लिया और इनका ब्रह्मभोज कर दिया। सोमेश्वर दास की पत्नी सोनालता ने खुद के पति को मृत समझकर विधवा की तरह जीवन जीना शुरु कर दिया, लेकिन अचानक से 1 माह पूर्व परिजनों को भरतपुर के अपना घर आश्रम से फोन पहुंचा और उन्हें सूचना दी कि उनके परिजन सोमेश्वर दास जीवित और स्वस्थ अवस्था में अपना घर आश्रम में हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
अपना घर आश्रम बबिता गुलाटी ने बताया कि जिस समय परिजनों को सोमेश्वर दास के जीवित होने की सूचना दी गई, तो उनके परिजन एक बार तो विश्वास ही नहीं कर पाए। आखिर में उन्हें पूरी जानकारी दी गई तब जाकर उन्हें यकीन हुआ कि सोमेश्वर दास जीवित हैं। शनिवार शाम को सोमेश्वर दास का बेटा संतोष दास अपने एक अन्य परिजन के साथ अपने पिता को लेने अपना घर आश्रम पहुंचा।
जब घर छोड़ा तब बेटा 14 साल का था और अब 39 का हो गया
रविवार सुबह जब 60 साल के सोमेश्वर दास को उनके बेटे संतोष दास से मिलाया तो वो अपने बेटे को पहचान नहीं पाए। असल में जिस समय सोमेश्वर दास अपने घर से निकले थे उस समय उनका बेटा महज 14 साल का था और अब वो 39 साल का हो गया है। पिता को देखकर बेटा संतोष दास भाव विह्वल हो गया और फूट-फूट कर रोने लगा। आश्रम की सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद संस्थापक डॉ.बी एम भारद्वाज और अन्य सदस्यों ने सोमेश्वर दास को अपने बेटे के साथ उड़ीसा के कटक स्थित अपने घर भेज दिया।
अपना घर आश्रम भरतपुर ऐसे पहुंचे सोमेश्वरदास
अपना घर आश्रम के निदेशक बीएम भारद्वाज ने बताया कि उड़ीसा से सोमेश्वरदास तमिलनाडु की संस्था अनभु ज्योति आश्रम विल्लुपुरम पहुंच गए थे। यह संस्था लावारिस विक्षिप्तों को शरण देती है। कई साल स्वप्नेश्वर ने इसी संस्था में गुजारे। अनभु ज्योति संस्था व अपना घर संस्था के बीच एक करार हुआ। जिसके तहत जनवरी 2021 में अनभु ज्योति आश्रम से 144 लावारिस लोगों को अपना घर आश्रम भरतपुर में शिफ्ट किया गया। इन 144 लोगों में स्वप्नेश्वर भी शामिल थे।
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