नई दिल्ली/ लखनऊ
उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव अब भाजपा की हो गईं हैं। अपर्णा यादव को बुधवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर UP के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने बड़ा झटका दिया है। देखने की बात ये है कि मुलायम सिंह के परिवार में भाजपा की इस सेंध से UP के समीकरण किस हद तक प्रभावित हो सकते हैं।
अपर्णा मुलायम सिंह यादव वह मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। अपर्णा ने भाजपा की सदस्यता लेने के बाद PM मोदी और CM योगी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्र की आराधना करने निकली हूं। स्वच्छ भारत मिशन, महिलाओं के स्वावलंबन और पार्टी की अन्य योजनाओं से बहुत प्रभावित रही हूं। जो भी कर सकूंगी, पूरी क्षमता से करूंगी।
अपर्णा के भाजपा में आने से पार्टी का कद बढ़ेगा
अपर्णा को पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि अपर्णा के भाजपा में आने से पार्टी का कद बढ़ेगा। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में देश-प्रदेश का विकास हो रहा है। अखिलेश यादव सांसद और मुख्यमंत्री के तौर पर असफल रहे। बार-बार कहते थे कि हर योजना हमने शुरू की है।
अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की खबरें पिछले तीन दिनों से चल रही थीं। कहा जा रहा था परिवार में सब-कुछ ठीक है। शिवपाल ने भी अपर्णा को परिवार की पार्टी में रहने की सलाह दी थी। साथ ही अखिलेश ने भी कहा था कि परिवार में सब ठीक है। अपर्णा यादव परिवार की 22वीं सदस्य हैं जिसने राजनीति में प्रवेश किया है। वह महिलाओं मुद्दों से जुड़ा एक संगठन चलाती है और लखनऊ में गायों के लिए एक शेल्टर भी संचालित करती हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक बाद भी अपर्णा यादव के भाजपा में जाने की अटकलें थीं। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी। तीन दिन से फिर अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जाने लगीं। चर्चा थी कि अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रही हैं, हालांकि भाजपा नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि शामिल होने के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं है। अपर्णा यादव 2017 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं। उन्हें तब भाजपा नेता रीता बहुगुणा जोशी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था।
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