नई हवा ब्यूरो | मुम्बई
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में एक अरब (100 करोड़) रुपए का घोटाला सामने आया है। इसके बाद EPFO ने अपने 8 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। एक मुख्य आरोपी अधिकारी फरार चल रहा है। इस घोटाले की जांच CBI को सौंप दी गई है। CBI ने जांच भी शुरू कर दी है।
भविष्य निधि से जुड़ा इतना बड़ा घोटाला कोरोना काल के दौरान तब सामने आया जब लोगों ने आवश्यकता पड़ने पर अपनी रकम निकालनी शुरू की। अभी तक आंतरिक ऑडिट (Internal audit) के दौरान 37 करोड़ का घोटाला सामने आ चुका है। पर यह आंकड़ा 100 करोड़ से भी ऊपर पहुंचेगा। यही वजह कि भविष्य निधि से जुड़ी इतनी बड़ी गड़बड़ी के मामले को सीबीआई जांच के लिए ट्रांसफर किया गया है। अब इस घोटाले की गहराई से जांच होगी।
सदस्यों के लिए विड्रॉल में दी ढील का घोटालेबाजों ने ऐसे उठाया फायदा
आपको बता दें लॉकडाउन के दौरान तंगी हालत में पहुंचे लोगों को राहत देने के लिए ईपीएफओ ने विड्रॉल से जुड़ी शर्तों में ढील दी थी जिसका फायदा उठाकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया। आमदनी घटने और नौकरी जाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने प्रोविडेंट फंड (PF) से पैसा निकालने की अर्जी दी थी जिसका तुरंत सेटलमेंट करना जरूरी था। लिहाजा वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने लॉगिन पासवर्ड दूसरे कर्मचारियों के साथ शेयर किए, जिससे कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा सेटलमेंट हो सके। कुछ जूनियर कर्मचारियों ने इसका फायदा उठाते हुए कई खातों से पैसे निकाल लिए।
बंद पड़े खातों से भी निकाल ली राशि
घोटालेबाजों ने ईपीएफओ में बड़ी संख्या में बंद पड़े खातों से भी रकम निकल ली। कंपनी बंद होने के कारण इन खातों में काफी समय से कोई अंशदान (Contribution) नहीं किया गया था। आरोपी कर्मचारियों ने बंद पड़े इन खातों में शुरुआत में कुछ मामूली रकम डाली और बाद में कोरोना की आड़ में फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए पूरा पैसा निकाल लिया।
जांच के मुताबिक, मार्च 2020 और जून 2021 के बीच जब पूरा देश कोरोना और लॉकडाउन से जूझ रहा था, तब ईपीएफओ के मुंबई स्थित दफ्तर में कुछ कर्मचारियों की गुट ने कथित तौर पर फर्जी निकासी के जरिए एक सामान्य पीएफ पूल से करोड़ों की हेराफेरी की। जांच में मास्टरमाइंड के तौर पर क्लर्क चंदन कुमार सिन्हा का नाम सामने आया है, जो ईपीएफओ के कांदिवली ऑफिस में कार्यरत है। आरोप है कि कुमार ने कथित तौर पर अधिकतर प्रवासी श्रमिकों के बैंक खातों का इस्तेमाल करते हुए उनकी ओर से करोड़ों रुपए के पीएफ का दावा किया और इसे अपने खातों में जमा किया।
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दिलचस्प तरीके से हुआ घोटाले का पर्दाफाश
ईपीएफओ के घोटालेबाज क्लर्क चंदन कुमार सिन्हा ने वर्ष 2005 में बिहार के गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया। जुलाई में घोटाला सामने आने के बाद वह अस्पताल में भर्ती हुआ और तब से गायब है। एक अधिकारी ने बताया कि उसके पास महंगी कारें और कई स्पोर्ट्स बाइक भी है। इसमें हार्ले डेविडसन भी शामिल है। यह घोटाला तब सामने आया है जब ईपीएफओ को एक बिना नाम-पते की शिकायती चिठ्ठी मिली। माना जा रहा है कि यह शिकायत चंदन के किसी रिश्तेदार ने की थी। इसमें उसकी लाइफस्टाइल का जिक्र भी किया गया था।
ईपीएफओ के खाताधारकों पर घोटाले का कोई असर नहीं
ईपीएफओ से 6 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स जुड़े हुए हैं जो अपनी सैलरी का एक हिस्सा हर महीने इसमें देते हैं। पेंशन और बाकी जरूरतों के लिए इसके फंड मैनेजर के पास 15 लाख करोड़ से ज्यादा कॉरपस है। 100 करोड़ के घोटाले से ईपीएफओ के खाताधारकों पर तो कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
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