ढाका
इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल, बांग्लादेश (Bangladesh) ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) और पूर्व गृहमंत्री आसदुज्जमान खान कमाल (Asaduzzaman Khan Kamal) को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है। यह फैसला अगस्त 2024 के बड़े छात्र आंदोलन के दौरान हुई सैकड़ों मौतों से जुड़े मामलों पर आया है—और फैसले के बाद पूरा बांग्लादेश उथल-पुथल में है।
ढाका हाई-अलर्ट पर, सड़कों पर हिंसा
फैसले के तत्काल बाद देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन भड़क उठे।
ढाका में 15,000 पुलिसकर्मी तैनात
भीड़ पर गोली चलाने तक की अनुमति
दो बसें जलाई गईं
कई जिलों में बवाल, पूरे देश में हाई-अलर्ट
सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि आने वाले दिनों में हिंसा और तेज हो सकती है।
न्यायाधीशों ने पढ़ा 453 पन्नों का फैसला
न्यायाधीश मोहम्मद गुलाम मुर्तुज़ा मोजुमदार की बेंच ने फैसले के छह खंड लाइव पढ़कर सुनाए। अदालत के अनुसार—
हसीना ने ढाका में प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टरों से हमला कराने के आदेश दिए।
घायलों को उपचार से वंचित किया गया।
अस्पतालों में झूठे नाम से भर्ती कराया गया।
गोलीबारी के निशान छिपाने की कोशिश की गई।
डॉक्टरों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने तक की धमकियाँ दी गईं।
पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को सरकारी गवाह बनने के कारण मौत की सजा से राहत दे दी गई।
भारत का आधिकारिक बयान
भारत के विदेश मंत्रालय ने संयमित प्रतिक्रिया देते हुए कहा—
“हम इस फैसले को संज्ञान में लेते हैं। भारत बांग्लादेश की शांति, लोकतंत्र, समावेशिता और स्थिरता का समर्थक है। हम सभी संबंधित पक्षों के साथ रचनात्मक संवाद जारी रखेंगे।”
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का संदेश
मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। सरकार ने कहा—
किसी भी उकसावे,
हिंसा,
या कानून-विरोधी गतिविधि
से दूर रहें।
मेरी मां भारत में पूरी तरह सुरक्षित: शेख हसीना का बेटा
हसीना के पुत्र सजीब वाजेद जॉय ने कहा—
उन्हें पहले से आशंका थी कि मृत्युदंड दिया जा सकता है।
हसीना वर्तमान में भारत में सुरक्षित हैं।
भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास उनकी सम्पूर्ण सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
उन्होंने दावा किया कि अवामी लीग के लाखों समर्थक इस फैसले का कड़ा प्रतिकार करेंगे।
हसीना का बयान: “यह फैसला राजनीति से प्रेरित है”
भारत में 15 महीने से रह रहीं शेख हसीना ने फैसले को गलत, पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया। उनका कहना है कि—
“यह फैसला ऐसे ट्रिब्यूनल ने दिया है, जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है और जिसके पास जनता का कोई जनादेश नहीं है।”
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