उदयपुर
अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना, अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में अनुसूचित जनजाति उपयोजना (TSP) के अंतर्गत ग्राम पंचायत फलासिया में शनिवार को मशरूम के पोषणीय एवं औषधीय महत्व पर एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।
इस प्रशिक्षण में फलासिया पंचायत समिति क्षेत्र के लगभग 25 से 30 गांवों के किसान और महिलाएं उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
परियोजना प्रभारी डॉ. एन. एल. मीना ने प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम के महत्वपूर्ण पोषक तत्वों, औषधीय गुणों, तथा ढींगरी व दूधछाता मशरूम की वैज्ञानिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मशरूम खेती न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाने का साधन बन सकती है।

कृषि अधिकारी शिव दयाल मीणा ने कहा कि मशरूम की खेती अतिरिक्त आमदनी का प्रभावी जरिया है। उन्होंने राजस्थान सरकार की अनुसूचित जनजाति किसानों के लिए चल रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल पर भी प्रकाश डाला।
प्रशिक्षण के दौरान अविनाश कुमार नागदा और किशन सिंह राजपूत ने प्रतिभागियों को मशरूम की व्यावहारिक जानकारी दी और उत्पादन की चरणबद्ध प्रक्रिया को समझाया।
कार्यक्रम के अंत में कुल 30 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण सामग्री वितरित की गई, ताकि वे अपने गांवों में मशरूम उत्पादन की शुरुआत कर सकें।
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