टोंक
जिसने जिंदगीभर बच्चों को ईमानदारी और ज्ञान का पाठ पढ़ाया, वही खुद फर्जी कागज़ों के सहारे नौकरी कर रहा था। और यह सच तब सामने आया जब वह गुरुजी सेवानिवृत्ति से महज़ सात दिन दूर थे।
राजस्थान (Rajasthan) के टोंक (Tonk) जिले में सरकारी स्कूल के अध्यापक श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल का पूरा खेल बेनकाब हो गया। 1993 में लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) से बीएड की डिग्री दिखाकर उन्होंने शिक्षक की नौकरी पा ली थी। लेकिन 32 साल बाद साफ हो गया कि वह डिग्री नकली थी।
कैसे पकड़ा गया खेल?
करीब एक महीने पहले एसओजी में शिकायत पहुँची।
लखनऊ विश्वविद्यालय से डिग्री और अंकतालिका की पुष्टि करवाई गई।
10 सितम्बर को रजिस्ट्रार ने साफ कह दिया – ये डिग्री हमारी नहीं है।
सफाई का नाटक
जिला परिषद ने 18 सितम्बर को गुरुजी को बुलाया, लेकिन वह खुद बीमार होने का हवाला देकर नहीं आए। बेटे को भेज दिया। बेटे ने वही पुराने कागज़ और 1994 की एक संदिग्ध सत्यापन रिपोर्ट पेश कर दी।
बड़ा झटका
जांच के बाद जिला परिषद ने नियुक्ति आदेश रद्द कर दिया। यानी रिटायरमेंट के सात दिन पहले ही नौकरी गई। अब एसओजी आरोपी से पूछताछ कर रही है।
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