नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के 2004 के एक फैसले में की गई ‘नाजायज पत्नी’ और ‘वफादार रखैल’ जैसी टिप्पणियों को कड़ी फटकार लगाते हुए इसे महिला की गरिमा के खिलाफ करार दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ये शब्द महिला विरोधी हैं और किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किए जा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा— क्या पुरुषों के लिए भी ऐसे शब्द हैं? सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर शादी अमान्य भी हो, तब भी पत्नी या पति गुजारा भत्ता पाने के हकदार रहेंगे।
क्या था मामला?
एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कई बार महिलाएं अपनी पहली शादी छिपाकर दूसरी शादी कर लेती हैं और जब मामला अदालत तक पहुंचता है, तो शादी को अमान्य करार दिया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसी स्थिति में पति या पत्नी को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए या नहीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25 के तहत ऐसी स्थिति में भी गुजारा भत्ता दिया जा सकता है।
बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा दिए गए 2004 के फैसले की कड़ी आलोचना की, जिसमें अमान्य शादी वाली पत्नी के लिए “नाजायज पत्नी” और “वफादार रखैल” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “चौंकाने वाली बात यह है कि हाई कोर्ट ने सिर्फ महिलाओं के लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल किए, लेकिन अमान्य शादियों में शामिल पुरुषों के लिए ऐसी कोई अपमानजनक भाषा नहीं लिखी गई।”
गुजारा भत्ता पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि—
✅ अगर शादी अमान्य भी हो जाती है, तो भी पति या पत्नी गुजारा भत्ता मांग सकते हैं।
✅ गुजारा भत्ता मुकदमे के दौरान भी दिया जा सकता है।
✅ हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25 “अमान्य शादियों” पर भी लागू होगी।
✅ हर मामले में गुजारा भत्ता देने का फैसला दोनों पक्षों के व्यवहार और तथ्यों पर निर्भर करेगा।
क्या होती हैं अमान्य शादियां?
1955 के हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 11 के तहत कुछ शादियों को अवैध माना जाता है, जैसे—
▶️ शादी के समय कोई पहले से ही शादीशुदा हो और तलाक न हुआ हो।
▶️ निषिद्ध रिश्तों में शादी (जैसे, करीबी खून के रिश्तों में)।
▶️ पारिवारिक परंपरा में मान्य न होने वाला विवाह।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि “किसी की शादी को अमान्य करार देना अलग बात है, लेकिन इस आधार पर किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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