राखी…

दीदी ने बांधी है मेरे,
राखी प्यारी प्यारी।
सचमुच मेरी प्यारी दीदी

अखिल भारतीय काव्य-सम्मेलन ‘एक शाम शहीदों के नाम’ का ऑनलाइन आयोजन

जयश्री फाउंडेशन के तत्वावधान में राजश्री साहित्य अकादमी मंच द्वारा स्वतंत्रता -दिवस की पूर्व संध्या पर ‘एक शाम शहीदों के नाम’ का एक अखिल भारतीय राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य-सम्मेलन

बादल भैया…

बादल भैया दौड़ रहे क्यों,
गुस्से में मुंह ऐंठकर।
सावन सूखा निकल रहा,क्यों,

अरमान…

ना कोई चाहत ना कोई आस
करती हूं बस एक यही प्रयास
ना कोई मुझसे हो निराश

वट वृक्ष…

बचपन में कंधों पर घुमाते,
हर छोटी बड़ी फरमाइश को
पूरा करते पिता

इंसानियत…

इस वर्ष कुछ ज्यादा ही भीषण गर्मी पड़ रही थी। सुबह से ही नलों में गरम पानी आ रहा था। शालिनी ने जब सूरज को आग उगलते देखा तो गर्मी से बचाव के उपाय में

भव सागर सहज तर जाएं…

चार दिनों का है ये जीवन
खुशियों से हो जाए रोशन

अगले क्षण का कुछ पता नहीं…

सबसे पहले हम
उसी का हाथ छोड़ते हैं,
जिसका हाथ सबसे पहले

तू मेरी धरती मेरा आकाश…

मां तू मेरे जीवन का विश्वास है।
तेरी सांसों से जीवन को सांस मिली,
तेरी उंगली से आंखों की राह खुली,

अनमोल रिश्ता…

मन की हर बात जिसे कह
दिल हल्का हो जाता,
सबसे अच्छी सहेली, दोस्त,