हिन्दी दिवसः दर्पण देखिए, आइने में निहारिए

जी हाँ, दर्पण देखिए, आइने में निहारिये, मिरर में झांकिए। इंसपैक्शन, निरीक्षण या आडिट दर्पण दिखाने का ही कार्य करता है। वार्षिक सम्मेलन, संगोष्ठी कार्यशाला,

अभिनव आदर्श…

यथार्थ की छैनी
सपनों को काटती है,

त्रय शतक…

तुमको खोला
श्रृंगार शतक सा

सपने अलबेले होते हैं…

आता यथार्थ फन फैलाए ,जीवन का भार न सह पाए

आखिर कैसे गाते…

सम्बन्धों के मधुर गीत, आखिर कैसे गाते

थे धर्मराज…

थे धर्मराज, खेला करते जुआ