हाइकू
डॉ. सत्यदेव आज़ाद
थे धर्मराज खेला करते जुआ छि: युधिष्ठर
पाँचों पाडव रखते एक पत्नी मिटी मर्यादा
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नेत्र विहीन बौराया पुत्र मोह धिक् धृतराष्ट्र
बाँधी क्यों पट्टी जानबूझ आँखों पै गिरी गान्धारी
क्यूं द्रोपदी को निर्वस्त्र करने की रची साजिश
वाह रे भीष्म बने नपुंसक छिः पितामह
कैसे थे गुरु पक्षपाती ईर्ष्यालु छि: द्रोणाचार्य
क्यों ली दक्षिणा बिना कुछ किए ही अनधिकार
ढाया सितम मांग लिया अंगूठा आस्था श्रद्धा से
गिरे थे द्रोण बढ़ा कद सहज एकलव्य का
(2313, अर्जुनपुरा, डीग गेट, मथुरा (उत्तर प्रदेश)। लेखक आकाशवाणी के सेवानिवृत्त वरिष्ठ उद्घोषक और नारी चेतना और बालबोध मासिक पत्रिका ‘वामांगी’ के प्रधान संपादक हैं)