ये शहर न होता तो मैं गांव में घर बनाता,
पक्की ईंटों से नहीं कच्ची मिट्टी से सजाता।
Tag: Disha Panwar
ये शहर न होता तो …
हे बसन्त! तुम फिर से आना…
कैसा ये बसंत आया है,
बसंती रंग न लाया है।
न सरसों खेतों में फूली,
न प्रेयसी बाहों में झूली,
न प्रेम पगी कलियां खिली
मुलाकात…
बचपन से मुलाकात कर लेते हैं,
दोस्तों से कही अनकही बात कर लेते हैं।
उसके डब्बे से मैंने भी रोटी चुराकर खाई थी,
ये बात उसको मैंने उसको कभी
