डिजिटल अरेस्ट की धमकी… FD लेकर बैंक पहुंची महिला, PNB कर्मियों की सूझबूझ से डेढ़ करोड़ की ठगी टली | मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर बड़ा साइबर खेल मैनेजर की पैनी नजर से नाकाम

लखनऊ (Lucknow) के विकास नगर में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के नाम पर बुजुर्ग महिला से डेढ़ करोड़ की ठगी होने से पहले PNB बैंक कर्मियों की सूझबूझ से बड़ा साइबर फ्रॉड टल गया।

लखनऊ 

एक फोन कॉल, कुछ डराने वाले शब्द और “मनी लॉन्ड्रिंग” का खौफ—अगर पीएनबी कर्मियों की सतर्कता न होती, तो लखनऊ की एक बुजुर्ग महिला अपनी जीवनभर की कमाई गंवा बैठती। विकास नगर के मामा चौराहा स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा में बैंक मैनेजर, डिप्टी मैनेजर और स्टाफ की सूझबूझ से लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की बड़ी साइबर ठगी ऐन मौके पर टल गई।

विकास नगर सेक्टर-3 निवासी उषा शुक्ला (65) उस वक्त ठगी का शिकार होते-होते बचीं, जब वह करीब 1 करोड़ 10 लाख रुपये की 14 एफडी तुड़वाकर एक संदिग्ध खाते में ट्रांसफर कराने बैंक पहुंचीं। महिला बेहद घबराई हुई थी और किसी से कुछ बताने की स्थिति में नहीं थीं।

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जानकारी के मुताबिक, महिला को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को जांच एजेंसी से जुड़ा बताते हुए कहा कि उनका परिवार मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त है, सभी को गिरफ्तार किया जा सकता है और घंटों पूछताछ होगी। डर का माहौल बनाकर आरोपी ने मामला “रफा-दफा” करने के नाम पर करीब दो करोड़ रुपये की मांग कर डाली।

डरी-सहमी महिला ने बैंक जाकर पैसे भेजने की बात कही और इसी डर के साये में वह अपनी एफडी लेकर PNB विकास नगर शाखा पहुंच गईं। जब काउंटर पर इतनी बड़ी रकम निकालने की बात सामने आई, तो डिप्टी मैनेजर इंद्राणी को संदेह हुआ। उन्होंने कारण पूछा, लेकिन महिला कुछ भी बताने से बचती रहीं।

मामले की जानकारी तुरंत शाखा प्रबंधक सवर्ण राठौर को दी गई। मैनेजर ने स्थिति भांपते हुए महिला को केबिन में बुलाया। वह बेहद डरी हुई थीं और बातचीत करने से कतरा रही थीं। महिला ने जिस खाते में पैसे भेजने की बात कही, उस पर शक गहराते ही मैनेजर ने जानबूझकर गलत खाता संख्या पढ़ दी और कहा—“जिसे पैसा भेजना है, उससे सही खाता नंबर मंगाइए।”

महिला फोन करने के बहाने बाहर गई। इसी दौरान मैनेजर ने चपरासी को पीछे भेजकर निगरानी रखवाई। फोन पर बातचीत सुनते ही पूरा मामला साफ हो गया—यह डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर ठगी थी।

इसके बाद बैंक कर्मियों ने महिला की लंबी काउंसलिंग की। भरोसा जीतने पर महिला ने पूरी सच्चाई बताई। तत्काल पुलिस और उच्च बैंक अधिकारियों को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही मंडल प्रमुख आर.के. सिंह और मुख्य प्रबंधक राम बाबू भी शाखा पहुंचे।

इतना ही नहीं, बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने महिला के साथ जाकर अन्य सभी खातों को भी फ्रीज कराया, ताकि किसी भी खाते से एक रुपया भी बाहर न जा सके।

एक पल की समझदारी और टीमवर्क ने एक बुजुर्ग महिला को बर्बादी से बचा लिया। यह घटना न सिर्फ साइबर ठगों की नई चाल को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अगर बैंक कर्मी सजग हों, तो ठगी को आख़िरी दरवाज़े पर रोका जा सकता है।

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