जिन्ना विरोधी जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से अलीगढ़ में यूनिवर्सिटी, 14 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे शिलान्यास

अलीगढ़ 

जिन्ना के घोर विरोधी माने जााने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में नया विश्वविद्यालय खुलने जा रहा है। 14 सितंबर को इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2019 में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर अलीगढ़ में एक नया विश्वविद्यालय स्थापित करने का भरोसा दिलाया था। 14 सितंबर, 2019 को विश्वविद्यालय के निर्माण की घोषणा की।

जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का सबसे बड़ा विरोधी माना जाता है। 2019 में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाट राजा के नाम स्टेट यूनिवर्सिटी खोलने का भरोसा अलीगढ़ के लोगों को दिया था। अब उसके शिलान्यास का ऐलान कर दिया गया है।

कौन है राजा महेंद्र सिंह
जाट राजा महेंद्र प्रताप ने अफगानिस्तान में रहते हुए 1915 में भारत की अंतरिम सरकार बनाई थी। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने ही अलीगढ़ में विश्वविद्यालय खोलने के लिए अपनी जमीन दान की थी, लेकिन बाद में उनका नाम ही यहां से हटा दिया गया। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सिर्फ जिन्ना का नाम ही लिखा गया, जबकि राजा का नाम हटा दिया गया। इसी कारण यहां पर एएमयू का नाम बदलने के लिए काफी मांग उठती रहती है।

इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए रास्ता निकाला। प्रदेश सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाब में महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया। और अब यह वादा पूरा होने जा रहा है।

महेन्द्र प्रताप का जन्म एक दिसम्बर 1886 को एक जाट परिवार में हुआ था जो मुरसान रियासत के शासक थे। यह रियासत वर्तमान उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में थी। राजा महेंद्र प्रताप को गोद लेने के वाले हाथरस के राजा घनश्याम सिंह ने उन्हें पढने के लिए 1895 में अलीगढ़ में गवर्नमेंट हाईस्कूल (नौरंगीलाल इंटर कॉलेज) भेजा था। उसी साल महेंद्र प्रताप का दाखिला एमएओ (मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल) कॉलेज में करा दिया गया। राजा घनश्याम सिंह और सर सैयद के बीच अच्छी दोस्ती थी। सर सैयद के आग्रह पर ही महेंद्र प्रताप यहां पढ़ने आए। बताते हैं कि महेंद्र प्रताप अलग हॉस्टल में राजशाही ठाठ से रहते थे। 10 नौकर भी उनके साथ यहां रहते थे।

कई कॉलेजों के लिए जमीन दान की थी
देश की आजादी से पहले 1915 में अफगानिस्तान में रहकर महेंद्र प्रताप ने भारत की अंतरिम सरकार बनाई थी। ये उस वक्त देश के सबसे बड़े हीरो माने जाते थे। कहते हैं कि जाटों के दिलों में आज भी राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज करते हैं।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1909 में वृंदावन (मथुरा) में प्रेम महाविद्यालय (पीएमवी) की स्थापना की थी, तब उन्होंने पांच गांव दान में भी दिए। गुरुकुल वृंदावन, डीएस कॉलेज, एसवी कॉलेज, कायस्थ पाठशाला और बीएचयू के लिए भी उन्होंने अपनी जमीन दी थी। 1932 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह को इसके लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।

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