गति शक्ति प्रोजेक्ट में चल रही थी घूस की रेलगाड़ी | CBI ने मारा DRM ऑफिस पर छापा, 5 गिरफ्तार, फरार अफसर पर शिकंजा

लखनऊ 

उत्तर रेलवे के बहुचर्चित गति शक्ति प्रोजेक्ट में घूसखोरी की गाड़ी पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी, लेकिन सीबीआई के छापे ने इसे पटरी से उतार दिया। राजधानी के हजरतगंज स्थित डीआरएम कार्यालय में छापा मारकर सीबीआई ने घूसखोरी के इस बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। जांच एजेंसी ने सोमवार को तीन रेलकर्मियों समेत पांच आरोपियों को धर दबोचा। इनके कब्जे से 3.30 लाख रुपये नकद और बैंक खातों में ली गई घूस के पुख्ता सबूत मिले हैं।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में गति शक्ति प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा, सीनियर सेक्शन इंजीनियर अशोक रंजन, कार्यालय अधीक्षक अंजुम निशा, और दिल्ली की टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी जिमी सिंह और कंपनी संचालक प्रवीण सिंह (वाराणसी निवासी) शामिल हैं। सभी को मंगलवार को राजधानी की विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

इधर, सीबीआई उत्तर रेलवे में असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर केके मिश्रा की तलाश में भी जुटी है, जो छापेमारी के दौरान फरार हो गया था।

बिल पास कराने के लिए होती थी सौदेबाजी

सीबीआई के मुताबिक, लखनऊ के उत्तर रेलवे और वाराणसी के पूर्वोत्तर रेलवे के कई अफसर गति शक्ति प्रोजेक्ट के बिल पास कराने के लिए ठेकेदारों से मोटी घूस वसूलते थे। दिल्ली की टैंजेंट इंफ्राटेक के प्रवीण कुमार सिंह और सिकंदर अली को भदोही में प्रोजेक्ट का काम मिला था। प्रवीण ने बताया कि डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा ने घूस लेकर बिलों का भुगतान किया और अन्य कई रेलकर्मी भी लगातार रिश्वत मांगते रहे।

सीबीआई की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि 21 और 26 जून को प्रवीण के कर्मचारी जिमी सिंह ने वाराणसी में राकेश रंजन को 2 लाख रुपये घूस एक क्लब में सौंपे थे। इतना ही नहीं, 28 अप्रैल को अभिषेक गुप्ता ने 50 हजार रुपये घूस प्रवीण से बैंक ट्रांसफर के जरिए ली, जिसे प्रवीण के अकाउंटेंट केशव चौधरी ने जमा कराया।

महिला अधिकारी तक पहुंची थी घूस की गूंज

सीबीआई को यह भी पता चला कि प्रवीण की कंपनी का करीब 3 करोड़ रुपये का बिल मंजूरी के लिए एक महिला अधिकारी के पास भेजा गया था, जिसे घूस में हिस्सा देने का वादा किया गया था। मनीष नामक कर्मचारी ने 3 जुलाई को प्रवीण को बताया कि डीआरएम ने बिल में वेरिएशन की स्वीकृति दे दी है।

इसी तरह लेखा विभाग के कर्मचारी योगेश गुप्ता और सीनियर क्लर्क सुशील कुमार राय भी कंपनी से नियमित रूप से घूस ले रहे थे। इतना ही नहीं, 13 जुलाई को प्रवीण ने अपने कर्मचारी जिमी को कहा था कि वह सोमवार को लखनऊ जाकर विवेक कुशवाहा को 7 लाख रुपये घूस की रकम सौंप दे।

इन पर दर्ज हुआ था मुकदमा

सीबीआई ने जिनके खिलाफ केस दर्ज किया, उनमें शामिल हैं:

  • डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा

  • सीनियर डिविजनल इंजीनियर (कोऑर्डिनेशन) राकेश रंजन

  • कार्यालय अधीक्षक मनीष

  • सीनियर सेक्शन इंजीनियर अभिषेक गुप्ता

  • लेखा विभाग के कर्मी योगेश गुप्ता

  • सीनियर क्लर्क सुशील कुमार राय

  • टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रवीण कुमार सिंह और जिमी सिंह

  • टैलेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

सीबीआई का कहना है कि इस घूसखोरी के जाल में रेलवे के कई और बड़े नाम फंस सकते हैं। जांच का दायरा और भी बढ़ाया जा रहा है। रेलवे की ‘गति शक्ति’ को घूस ने धीमा कर दिया, लेकिन सीबीआई की कार्रवाई ने भ्रष्टाचारियों के होश उड़ा दिए हैं।

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