हापुड़
उत्तर प्रदेश (UP) के हापुड़ (Hapur) में जिला प्रशासन ने बैंकों (Bank) की लापरवाही पर ऐसा एक्शन लिया कि बैंककर्मियों के पसीने छूट गए। महीनों से युवाओं के ऋण आवेदनों को लटकाने वाले 33 बैंक अधिकारियों-कर्मचारियों को मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु गौतम ने मीटिंग हॉल में ही नजरबंद कर दिया। इतना ही नहीं, हॉल के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई और सख्त आदेश जारी कर दिया—“काम पूरा किए बिना कोई बाहर नहीं जाएगा।“
बैंकों की टालमटोल पर फूटा अफसरों का गुस्सा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने युवाओं को बिना गारंटी पांच लाख रुपये तक का ऋण देने की योजना को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए थे। मगर, कई बैंक महीनों से आवेदन लटकाए बैठे थे। बार-बार चेतावनी के बावजूद बैंककर्मियों की सुस्ती खत्म नहीं हुई, तो सीडीओ और डीएम प्रेरणा शर्मा ने बैंकों की क्लास लगा दी। कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक बुलाई गई थी, जहां 43 बैंक अधिकारी-कर्मचारी पहुंचे। जब पता चला कि अधिकांश ने अब तक काम पूरा नहीं किया, तो अफसरों का पारा चढ़ गया और मीटिंग हॉल को अस्थायी ‘कैदखाना’ बना दिया गया।
दरवाजे पर पुलिस, टेबल पर फाइलें, शाम तक काम निपटाने की डेडलाइन
दोपहर 1 बजे सभी बैंककर्मियों को हॉल में बैठाकर कहा गया—”जब तक 100 आवेदन पूरे नहीं होते, कोई बाहर नहीं जाएगा।” हॉल का पिछला दरवाजा बंद कर दिया गया और मुख्य दरवाजे पर पुलिस तैनात कर दी गई। अफसरों के इस रुख से बैंककर्मियों में हड़कंप मच गया। काम न करने की गुंजाइश ही खत्म कर दी गई। करीब चार घंटे तक बैंककर्मी फाइलों में उलझे रहे। अधिकांश ने शाम 5 बजे तक लंबित ऋण आवेदनों की प्रक्रिया पूरी कर ली, मगर एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और आईडीबीआई बैंक के कर्मचारी फिर भी काम पूरा नहीं कर सके।
अधिकारियों ने दिया दो टूक जवाब
एलडीएम राजीव गुप्ता ने कहा कि प्रशासन “अनावश्यक दबाव” बना रहा है, अधिकारी योजना को ठीक से समझ नहीं रहे हैं। मुख्यमंत्री की योजना नए उद्योगों के लिए है, जबकि ज्यादातर आवेदन पुराने उद्योग-धंधे चलाने वालों के आ रहे हैं। कोटेशन भी नहीं दे रहे हैं। इस कारण काम में देरी हो रही है। जबकि सीडीओ हिमांशु गौतम ने दो टूक कह दिया—”बैंकों की मनमानी नहीं चलेगी। पात्र युवाओं के ऋण आवेदन पहले ही छांटे जा चुके थे। जब तक 100 आवेदन पूरे नहीं हुए, किसी को छोड़ा नहीं गया।”
हापुड़ प्रशासन ने बैंकों को साफ निर्देश दिए थे कि ऋण आवेदन समय पर स्वीकृत हों। मगर जब बैंक सुस्ती दिखाने लगे, तो प्रशासन ने उन्हें वही ‘डेडलाइन’ थमा दी—”अब बिना फाइल क्लियर किए यहां से निकलने का कोई ऑप्शन नहीं।” बैंकों की सुस्ती दूर करने के लिए हापुड़ प्रशासन का यह तरीका अब चर्चा का विषय बन गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अब दूसरे जिलों में भी प्रशासन इसी तरह बैंककर्मियों को ‘नजरबंद’ करके काम करवाएगा?
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