पुरानी पेंशन स्कीम लागू करे सरकार : समायोजित कर्मचारी संघ

जयपुर |


 

समायोजित कर्मचारियों का प्रदेश भर में धरना- प्रदर्शन


 

जिला कलक्टर्स को सौंपे ज्ञापन 

राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ की ओर से  अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 28 दिसम्बर को प्रदेशभर में धरना -प्रदर्शन के आयोजन किए गए। आन्दोलनकारियों की राजस्थान सरकार से मांग थी कि वह राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर खंडपीठ में दायर पुनर्विचार याचिका को वापस ले और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस निर्णय को लागू करे जिसमें समायोजित शिक्षा कर्मियों को पुरानी पेंशन देने का आदेश राज्य सरकार को दिया गया है।


 

संघ का आरोप है कि राजस्थान सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी हठधर्मिता पर अड़ी हुई है। संगठन की इस मांग के समर्थन में आंदोलनकारियों ने अपने – अपने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करते हुए जिला कलक्टर को ज्ञापन भी सौंपे। संघ के प्रदेश अध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया और प्रदेश महामंत्री शिव शंकर नागदा ने कहा कि सरकार हठधर्मिता  त्यागे और मांगें पूरी करे।

समायोजित कर्मचारियों ने जयपुर में संभाग संयोजक गोपाल छंगाणी, संभाग प्रभारी जसवंत उदावत, प्रदेश संगठन मंत्री मनोहर सिंह , प्रदेश उपाध्यक्ष करन सिंह राव व आनन्द प्रकाश कल्ला और जिला अध्यक्ष निशी राठौड़, नागौर में जिलाध्यक्ष हरीश सोनी, सभाध्यक्ष उमाशँकर व्यास और संयोजक अमर सिंह के नेतृत्व में धरना दिया गया।

उदयपुर में धरने को वहां के जिलाध्यक्ष शिवशंकर नागदा,विधि सलाहकार महेशचंद्र सोनी,मुकेश वैष्णव,डा.शिव सिंह डुलावत, महेश झाला, रामप्रकाश बांगड,पुरुषोत्तम पाराशर,जगदीश गुप्ता , रुकमण काबरा, मीना मेहता,अलका माहुर आदि ने संबोधित किया। 

बीकानेर में  समायोजित शिक्षाकर्मी संघ जिला इकाई द्वारा जिला कलक्टर कार्यालय पर जिला अध्यक्ष सत्यप्रकाश बाना के नेतृत्व में धरना दिया गया।

यह है मामला

इन कर्मचारियों के समायोजन के बाद नौकरशाहों की सलाह पर राज्य सरकार ने राजस्थान स्वैच्छिक ग्रामीण शिक्षा सेवा की नियमावली और शर्तें ऐसी बनाईं कि इन कर्मचारियों को पेंशन नियमों तक से दूर कर दिया। राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम -1996 के स्थान पर सिविल सेवा ( अंशदायी पेंशन ) स्कीम -2005 लागू की। स्थानांतरण में गांव की बाध्यता रख दी। पदोन्नति से वंचित कर दिया। इनकी नियुक्ति को नई नियुक्ति का दर्जा देते हुए एनपीएस के दायरे  में लाया गया जबकि सभी समायोजित कर्मचारी 2004 से पूर्व से ही नियोजित थे। इस पर विवश कर्मचारी अदालत चले गए। हाईकोर्ट से होते-होते सुप्रीम कोर्ट तक बात पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की सारी दलीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ये सभी कर्मचारी अनुदानित संस्थानों में 2004 से पूर्व भी नियोजित थे। सरकार की दलील थी कि ये सभी नए कर्मचारी हैं। इसलिए उनको पुरानी पेंशन का लाभ देय नहीं है। पर सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया । इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जोधपुर की डबल बेंच में रिव्यू पिटीशन पेश कर दी। अब कर्मचारी सरकार से इसी पिटीशन को वापिस लेने और पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे है।






 

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