चूरू
राजस्थान में चूरू जिले से एक दिल को दहला देने वाली खबर आई है। कक्षा सात में पढ़ने वाले 13 वर्षीय एक बच्चे को एक शिक्षक ने इतनी बेरहमी से मारा कि उसकी जान निकल गई। मासूम ने स्कूल में ही दम तोड़ दिया। बच्चे का कसूर सिर्फ इतना था कि वह शिक्षक के बताए होमवर्क को नहीं कर पाया।
मामला चूरू जिले के सालासर थाने क्षेत्र के गांव कोलासर के मॉर्डन पब्लिक स्कूल का है जहां एक टीचर की पिटाई से एक 13 साल के बच्चे की मौत हो गई। मासूम का दोष इतना था कि वो किसी कारण से होमवर्क करके नहीं ला सका। इस बात से स्कूल निदेशक के शिक्षक पुत्र मनोज ढिढारिया इतना नाराज हुआ कि उसने बच्चे को जमीन पर पटक-पटककर बेरहमी से मारा जिसके बाद मासूम बेहोश हो गया। उसे आरोपी टीचर अस्पताल ले गया लेकिन उसकी मौत हो गई।

घटना को छिपाने के लिए पिता को छात्र के बेहोश होने की कहानी सुनाई। इस संबंध में मृतक के पिता ओमप्रकाश शर्मा निवासी कोलासर ने शिक्षक के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने आरोपी मनोज को हिरासत में लेकर हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक रिपोर्ट में पीड़ित ने बताया कि उसका बेटा गणेश शर्मा कक्षा प्रथम से कोलासर की मॉर्डन पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत था। जो लॉकडाउन के बाद से विद्यालय जा रहा था। लगभग 15-20 दिनों से उसे तीन चार बार शिकायत कर चुका था कि आरोपी शिक्षक उसके साथ बेवजह मारपीट करता है। सुबह आरोपी स्कूल निदेशक के शिक्षक मनोज ढिढारिया ने फोनकर बताया कि गणेश को डांटाने व पीटने से बेहोश हो गया है। आरोपी की ओर से उसे मरने का नाटक करने की बात भी कही गई। यह सुनकर उसके होश उड़ गए व सीधा पत्नी के साथ स्कूल पहुंचा।

पीड़ित ने बताया कि घटना से स्कूल के सभी बच्चे घबराए हुए थे, पूछताछ करने पर बच्चों ने बताया कि शिक्षक मनोज ने गणेश को बेरहमी से व लात घूंसों से फर्श व दीवार पर पटक-पटक कर मारा।
मारपीट से हो गया था लहूलुहान, संस्था के लोगों ने किया खून साफ
मृतक के पिता ने बताया कि बेरहमी से मारपीट करने पर बेटा गणेश लहूलुहान हो गया। बाद में उक्त शिक्षक और संस्थान के अन्य लोगों ने स्कूल निदेशक के आरोपी शिक्षक को बचाने के लिए फर्श पर बिखरे खून को साफ कर दिया। बच्चों ने बताया कि गणेश को बहुत खून आया हुआ था। इसके बाद आनन-फानन में गाड़ी से सालासर स्थित निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, इस दौरान आरोपी शिक्षक मनोज भी था। शिक्षक मनोज ही जबरन निजी हॉस्पिटल लेकर गया। जहां चिकित्सकों ने मासूम के अस्पताल लाने से पहले ही मौत की बात कही गई।
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