राजनीतिक नियुक्तियों पर कांग्रेस में बखेड़ा, पायलट समर्थक नाराज, 2 ने पद ठुकराए

जयपुर 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राजनीतिक नियुक्तियों के बाद कांग्रेस में एकबार फिर बखेड़ा खड़ा हो गया है। वजह यह रही कि दूसरी बार की गई राजनीतिक नियुक्तियों में भी सचिन पायलट के  खेमे को झुनझुना ही हाथ लगा है। इससे सचिन और गहलोत गुट में फिर से तलवारें खिंच गई हैं। सचिन खेमे के दो नेताओं ने तो इन राजनीतिक नियुक्तियों में तो पद ही ठुकरा दिए हैं।

बताया जाता है कि सचिन खेमे के आधा दर्जन अन्य नेता भी नाराज चल रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि उन्होंने भी पद नहीं संभालने का मन बना लिया है। इन सभी ने सचिन पायलट को भी अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है। सूत्रों ने बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा तक भी इसकी जानकारी पहुंचा दी गई है। कम महत्व की नियुक्ति मिलने से असंतुष्ट नेताओं ने मुखालफत कर दी है।

हालांकि  गहलोत ने दूसरी बार 74 राजनी​तिक नियुक्तियों में सचिन समर्थक करीब 20 नेताओं को स्थान दिया है लेकिन उनमें से अध्यक्ष पद  केवल दो ही को मिला है। बाकी सबको बोर्ड, निगमों में  सदस्य बना कर एक तरह से बहका दिया गया है। यही नाराजगी की बड़ी वजह है। पायलट खेमे का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 फरवरी को की गई नियुक्तियों में भी उनकी उपेक्षा की।

जिन्होंने पद ठुकराए हैं उनके नाम सुशील आसोपा और राजेश चौधरी है। ये दोनों सदस्य बनाए जाने से नाराज हैं। दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से बयान जारी कर नाराजगी भी जाहिर करते हुए पद लेने से इनकार कर दिया है। इनमें सुशील आसोपा को बंजर भू​मि विकास बोर्ड सदस्य बनाया गया है। उन्होंने  ट्वीट करके नाराजगी जाहिर करते हुए  राजनीतिक नियुक्ति को ठुकरा दिया और कहा कि नियुक्ति में मेरी सहमति नहीं ली गई। मैं 42 महीने पहले सरकारी नौकरी छोड़कर पदों के लिए कांग्रेस में नहीं आया, जीवन भर नि:स्वार्थ सेवा करता रहूंगा।

ज्योति खंडेलवाल इसलिए नाराज हो गई हैं क्योंकि उनको व्यापार कल्याण बोर्ड का सदस्य बना कर झुनझुना पकड़ा दिया गया है जबकि वह जयपुर की पूर्व मेयर रही हैं। और जयपुर शहर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। बताया जा रहा है कि ज्योति खंडेलवाल इसे अपना अपमान समझ रही हैं। इसी तरह राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण सदस्य करणसिंह उचियारड़ा और बंजर भूमि विकास बोर्ड सदस्य पूर्व विधायक घनश्याम मेहर भी नाराज हैं।

घनश्याम मेहर की नाराजगी का कारण ये है कि वे टोडाभीम से पूर्व विधायक रहे  और उनको बंजर भूमि विकास बोर्ड में जूनियर नेता के अधीन  मेंबर बना कर अपमानित कर दिया गया है। मेहर टोडाभीम से उस समय विधायक बने थे जब मोदी लहार में  कांग्रेस के केवल 21 विधायक ही जीते थे।

दूसरी सूची जारी किए जाने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को दिल्ली दौरे पर थे। वहां प्रियंका गांधी समेत आला कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि गहलोत को राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर असंतोष की भनक पहले थी और इसी वजह से उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को सूची जारी करने से पहले अवगत भी करा दिया था। इसके बाद ही नियुक्ति का ऐलान किया गया।

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