जयपुर
राजस्थान में सरकार ने बुधवार को वो कर दिखाया, जिसकी अफसरशाही को उम्मीद भी नहीं थी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नौ पुलिस निरीक्षकों को सीधे राज्य सेवा से बाहर का रास्ता दिखा दिया — और वो भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति (Compulsory Retirement) देकर। इन पर सालों से गंभीर आरोप थे, लेकिन कार्रवाई अब बिजली बनकर गिरी।
गृह विभाग ने साफ किया कि इन इंस्पेक्टरों की कार्यशैली, दक्षता, ईमानदारी, और विभागीय आचरण की ऊच्च स्तरीय समीक्षा के बाद इन्हें बर्खास्त करने जैसी सख्त कार्रवाई की गई। मुख्यमंत्री ने राज्य सेवा के 37 लंबित मामलों का निस्तारण करते हुए यह कार्रवाई की — एक तरह से अफसरशाही के लिए यह साफ संदेश है कि अब लापरवाही और भ्रष्टाचार नहीं चलेगा।
IAS पर भी गिरी गाज | जमीन घोटाले में केंद्र सरकार के नियमों में फंसे
कार्रवाई यहीं नहीं रुकी। सरकार ने एक वरिष्ठ IAS अधिकारी पर अखिल भारतीय सेवा अनुशासन नियमों के तहत बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। आरोप है कि उक्त अधिकारी ने नियमों को दरकिनार कर भूमि आवंटन में बड़ा खेल किया। मुख्यमंत्री ने नियम 8 के तहत इसकी मंजूरी दे दी है।
RAS और प्रशासनिक अधिकारियों की कुर्सी भी डगमगाई | वेतन वृद्धि रोकी, पेंशन जब्त
▪ छह वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति
▪ दो अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की विस्तृत जांच
▪ 13 अधिकारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी गई
▪ 5 रिटायर्ड अधिकारियों की पेंशन पर गाज — एक की 100% पेंशन जब्त
इन कार्रवाइयों के ज़रिए मुख्यमंत्री ने संदेश दे दिया कि सरकार अब ‘जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन’ नीति पर बिना झिझक काम कर रही है।
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