जयपुर
जयपुर में महानिरिक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग राजस्थान के उस आदेश का विरोध शुरू हो गया है जिसके तहत नॉन रेगुलराईज कॉलोनियों के सोसायटी के आवंटन पत्र एवं अन्य मध्यवर्ती दस्तावेज पर मार्केट वेल्यू पर 100 प्रतिशत की दर पर ही मुद्रांक शुल्क लेने की बात कही गई है । दी डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट्स बार एसोसियेशन जयपुर ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर यह विभाग का मनमाना आदेश है और पहले के आदेश की गलत व्याख्या करके जारी किया गया है। वकीलों ने कहा है कि इस आदेश से गृह निर्माण सहकारी समितियों का अवैध कारोबार बढ़ जायेगा और सोसायटी द्वारा बैकडेट में आवंटन पत्र जारी करना चालू कर दिया जायेगा, जिससे सरकार को भारी आर्थिक क्षति होगी।
दी डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट्स बार एसोसियेशन जयपुर के अध्यक्ष गजराज सिंह राजावत और महासचिव अखिलेश कुमार जोशी के नेतृत्व में दिए गए इस ज्ञापन में कहा कि 5.3.2024 को महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग द्वारा जारी पत्र में ग्रह निर्माण सोसायटी की योजना जो जे.डी.ए. द्वारा या स्थानीय निकाय द्वारा रेगुलराइज नहीं हुई है उन सोसायटी के द्वारा दिये गए या जारी किए गए प्लाट के आवंटन पत्र को मध्यवर्ती दस्तावेज मानते हुए पट्टा धारक व्यक्ति जो अपने प्लाट को विक्रय पत्र के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय करता है तो सोसायटी के पट्टे पर आज की शत प्रतिशत मालियत पर मुद्रांक शुल्क लेने के आदेश जारी किये हैं एवं 10. 02.2023 से ऐसे दस्तावेज पर वसूली करने की कार्यवाही के आदेश भी दिये गये हैं।
ज्ञापन में बताया गया है कि इसके सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा सन् 2014 से समय -समय पर अधिसूचनाएं जारी की गई हैं तथा उन सभी में सम्पत्ति की मालियत की गणना के स्लेब में ही परिर्वतन किया गया है तथा स्लेब में वर्णित दर से मालियत की गणना कर उस पर मुद्रांक शुल्क लिया जाता रहा है, जो वर्तमान में 20 प्रतिशत है।
ज्ञापन के अनुसार इसी आधार पर उपमहानिरिक्षक पंजीयन विभाग द्वारा पूर्ण मुद्रांकित किये गये दस्तावेजो में भी इसी दर पर मुद्रांक शुल्क लिया जाकर निर्णय किये गये हैं एवं उप पंजीयक कार्यालयों की ए.जी. एवं आई.सी.पी. द्वारा ऑडिट भी की जा चुकी है, जिनमें कोई वसूली नहीं निकाली गई है । ज्ञापन में बताया गया कि पंजीयन विभाग के पोर्टल में भी ऐसे मध्यवर्ती दस्तावेज का इन्द्राज करने का प्रावधान है, जिससे मध्यवर्ती दस्तावेजों पर लगने वाले मुद्रांक शुल्क की गणना होती है एवं इसमें भी ऐसे मध्यवर्ती दस्तावेजों पर 20 प्रतिशत की दर से ही मुद्रांक शुल्क की गणना की जाकर राशि जमा की जा रही है। परन्तु अब 10.02.2023 की अधिसूचना की गलत व्याख्या कर 5.03.2024 को मनमाने ढंग से पत्र जारी कर नॉन रेगुलराईज कॉलोनीयों के सोसायटी के आवंटन पत्र एवं अन्य मध्यवर्ती दस्तावेज जैसे इकरारनामा आदि पर मार्केट वेल्यू पर 100 प्रतिशत की दर पर ही मुद्रांक शुल्क लेने के आदेश दिये गये हैं, जो पूर्णरूप से गलत व गैर कानूनी है। इसके साथ ही इस पत्र द्वारा 10.02.2023 से पंजीकृत ऐसे दस्तावेजों पर मुदांक शुल्क वसूल किये जाने के आदेश जारी किये गये हैं, ये आदेश पूर्णरूप से गलत है । इससे गृह निर्माण सहकारी समितियों का अवैध कारोबार बढ़ जायेगा और सोसायटी द्वारा बैकडेट में आवंटन पत्र जारी करना चालू कर दिया जायेगा, जिससे सरकार को भारी आर्थिक क्षति होगी।
ज्ञापन में मांग की गई कि जनहित में उक्त आदेश को वापस लिया जाए एवं पूर्व की तरह ही नॉन रेगुलराईज योजनाओं के आवंटन पत्र एवं मध्यवर्ती दस्तावेजों से होने वाले विक्रय पत्र आदि पर वर्तमान मार्केट वेल्यू के 20 प्रतिशत पर मुद्रांक शुल्क लिये जाने के आदेश दिये जाएं।
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