जयपुर
राजस्थान के शिक्षा जगत में भूचाल! विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने राजस्थान (Rajasthan) के तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों (Universities) पर फर्जी पीएचडी (PhD) डिग्रियां बेचने के सनसनीखेज मामले में बड़ी कार्रवाई की है। इन विश्वविद्यालयों पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है।
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जिन विश्वविद्यालयों पर यह गाज गिरी है उनके नाम ओपीजेएस विश्वविद्यालय (OPJS University) (चूरू), सनराइज विश्वविद्यालय (Sunrise University), अलवर और सिंघानिया विश्वविद्यालय (Singhania University), झुंझुनू हैं जिन पर अगले पांच वर्षों तक पीएचडी प्रोग्राम के तहत दाखिले पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यह फैसला यूजीसी द्वारा गठित विशेष जांच समिति की विस्तृत जांच के बाद लिया गया, जिसमें यह पाया गया कि ये विश्वविद्यालय न केवल पीएचडी नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे थे, बल्कि शैक्षणिक मानदंडों को भी ताक पर रखकर डिग्रियां बेच रहे थे।
फर्जी डिग्री का खेल: शिक्षा का मजाक उड़ाने वाला कांड!
यूजीसी को लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जांच शुरू हुई। इन विश्वविद्यालयों पर आरोप है कि ये 50 हजार से लेकर लाखों रुपये तक में फर्जी डिग्रियां बेच रहे थे। जांच में पाया गया कि पीएचडी डिग्री प्रदान करने में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। इसके बाद, यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों को स्पष्टीकरण देने का मौका दिया, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया असंतोषजनक पाई गई।
अब UGC का कड़ा फैसला
- 5 साल का प्रतिबंध: 2025-26 से 2029-30 तक पीएचडी में दाखिले पर रोक।
- यह निर्णय फर्जी डिग्री के खेल पर नकेल कसने के लिए लिया गया है।
राजस्थान सरकार भी ले चुकी है सख्त कदम
राजस्थान सरकार पहले ही इन विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई कर चुकी है।
- सभी कोर्सों में नए नामांकन पर रोक: उच्च शिक्षा विभाग ने नए एडमिशन पर रोक लगाई थी।
- पिछली डिग्रियों की जांच जारी: पिछले तीन वर्षों में जारी डिग्रियों की जांच की जा रही है।
- गिरफ्तारियां: पिछले साल एसओजी ने दो विश्वविद्यालयों के संस्थापक और डायरेक्टर को गिरफ्तार किया था।
कैसे चलता था फर्जी डिग्री का रैकेट?
चौंकाने वाली बात यह है कि ओपीजेएस विश्वविद्यालय चूरू से फर्जी डिग्री बेचने का एक बड़ा रैकेट उजागर हुआ था। आरोप है कि छात्रों से लाखों रुपये लेकर उन्हें बिना किसी कक्षा, परीक्षा या शोध कार्य के डिग्रियां प्रदान की जा रही थीं।
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शिक्षा जगत में हड़कंप!
इस मामले ने पूरे शिक्षा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। फर्जी डिग्री कांड ने न केवल शैक्षिक संस्थानों की साख पर सवाल उठाए हैं, बल्कि उन हजारों छात्रों का भविष्य भी दांव पर लगा दिया है, जो इन विश्वविद्यालयों से डिग्री लेकर बाहर आए हैं।
UGC का यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने की दिशा में उठाया गया है, बल्कि ऐसे भ्रष्ट विश्वविद्यालयों के खिलाफ सख्त संदेश भी है।
अब सवाल यह है:
- क्या इन विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की डिग्रियां वैध मानी जाएंगी?
- क्या यह फैसला फर्जी डिग्री के इस गंदे खेल को रोकने के लिए पर्याप्त होगा?

शिक्षा का यह गहरा घोटाला पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है, और सरकार और यूजीसी की यह सख्त कार्रवाई शिक्षा क्षेत्र को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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