नगर निगम ग्रेटर की कमेटियों को निरस्त करने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक, मेयर सौम्या ने लिखा; ‘सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं ‘

जयपुर

राज्य की गहलोत सरकार को 26 मार्च के दिन हाई कोर्ट से तब तगड़ा झटका लगा जब कोर्ट ने नगर निगम ग्रेटर जयपुर की कमेटियों को निरस्त करने के राज्य की गहलोत सरकार के आदेश पर रोक लगा दी। राजस्थान हाईकोर्ट के इस निर्णय से भाजपा और सभी कमेटी चेयरमैनों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट का फैसला आने के बाद मेयर सौम्या गुर्जर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। मेयर का यह तंज वैसा ही है, जैसा पिछले साल पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ चले विवाद के समय लिखा था।मेयर सौम्या गुर्जर की तरफ से राज्य सरकार के आदेशों को चुनौती देने के लिए यह याचिका लगाई थी, जिस पर जस्टिस अशोक गौड़ ने सरकार और कांग्रेसी पार्षदों का पक्ष सुनते हुए सरकार के 25 फरवरी के आदेश पर रोक लगा दी।
मेयर की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद, आशीष शर्मा और जितेन्द्र श्रीमाली ने की, जबकि सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता और कांग्रेस पार्षदों की तरफ से अधिवक्ता माधव मित्र कोर्ट में थे।

अधिवक्ता श्रीमाली ने बताया कि सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि जो प्रस्ताव बोर्ड में सर्वसम्मति से पास हुआ है, उसे सरकार कैसे निरस्त कर सकती है। वहीं कोर्ट ने आयुक्त नगर निगम के डिसेंट नोट वाले मामले पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि जब आयुक्त के डिसेंट नोट के आधार पर सरकार ने ये निर्णय किया तो आयुक्त खुद क्यों शपथ पत्र पेश करने नहीं आए। इसके अलावा कोर्ट ने कमेटियों में बाहर से लिए सदस्यों की अयोग्यता वाले मामले पर कहा कि जब बोर्ड बैठक कर सभी पार्षदों ने सर्वसम्मति से बाहरी सदस्यों को स्वीकार कर लिया तो इसमें अयोग्यता वाली बात कहां से आ गई। इस तरह कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्को को सुनने के बाद सरकार के आदेशों पर रोक लगा दी।

25 फरवरी को जारी किया था आदेश
नगर निगम ग्रेटर जयपुर में 28 जनवरी को हुई बोर्ड बैठक में 21 समितियों और 7 अतिरिक्त समितियों के गठन का प्रस्ताव पास करके राज्य सरकार के पास भिजवाया था। लेकिन राज्य सरकार ने 25 फरवरी को एक आदेश जारी करके नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 55 और 56 के अनुसार समितियों का गठन नहीं होने का हवाला देते हुए इन्हें निरस्त कर दिया। सरकार की ओर से जारी आदेशों को मेयर सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
ये समितियां कर सकेंगी काम
कार्यकारी समिति, वित्त समिति, सफाई समिति वार्ड 1 से 50, सफाई समिति वार्ड 51 से 100, सफाई समिति वार्ड 101 से 150, विद्युत समिति वार्ड 1 से 50, विद्युत समिति वार्ड 51 से 100, विद्युत समिति वार्ड 101 से 150, भवन अनुज्ञा समिति, गन्दी बस्ती सुधार समिति, महिला बाल विकास समिति, नियम उपविधि समिति, अपराधों का शमन समिति, लोकवाहन समिति, लाइसेंस समिति, फायर समिति, उद्यान समिति, पशु नियंत्रण समिति, सांस्कृतिक समिति, Nulm समिति और होर्डिंग एवं नीलामी समिति। इन सभी समितियों के अलावा जो अतिरिक्त 7 समितियां बनाई है, उनका निर्णय अभी राज्य सरकार स्तर पर अटका है, क्योंकि ये इन समितियों की मंजूरी का अधिकार राज्य सरकार के पास है।