चूरू
राजस्थान के चूरू जिले में बुधवार को भारतीय वायुसेना का एक जगुआर ट्रेनर फाइटर जेट भीषण हादसे का शिकार हो गया। हादसा चूरू जिले के तनगढ़ क्षेत्र में राजलदेसर के पास भानुदा गांव में दोपहर करीब 12:55 बजे हुआ। हादसे में विमान में सवार दोनों पायलटों की मौके पर ही मौत हो गई।
जहां विमान गिरा, वहां का मंजर दिल दहला देने वाला था। बड़ी दूरी तक खेतों में फाइटर जेट का मलबा बिखरा पड़ा था। घटनास्थल से दोनों पायलटों के शव बरामद हुए, जो बुरी तरह क्षत-विक्षत हालत में मिले। हादसे के तुरंत बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
ग्रामीणों के मुताबिक, आसमान में एक तेज धमाके की आवाज सुनाई दी। इसके कुछ ही पलों बाद खेतों से भीषण आग की लपटें और घना काला धुआं उठता दिखा। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान गिरते ही आस-पास के खेतों में आग फैल गई। गांववालों ने अपनी जान की परवाह किए बिना आग बुझाने की कोशिश की। चूरू के एसपी जय यादव ने बताया कि विमान एक पेड़ पर गिरा, जिससे पेड़ में भी आग लग गई।
भारतीय वायुसेना ने हादसे पर गहरा शोक जताया है। वायुसेना ने X पर लिखा, “हम बहादुर पायलटों की शहादत को सलाम करते हैं और इस कठिन समय में शोकाकुल परिवारों के साथ मजबूती से खड़े हैं।” वायुसेना ने हादसे की वजह जानने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस दुखद घटना पर संवेदना जताई। उन्होंने कहा, “चूरू जिले के रतनगढ़ क्षेत्र में भारतीय वायुसेना के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है और राहत-बचाव कार्य के निर्देश दिए गए हैं। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिजनों को दुख सहने की शक्ति दें।”
हादसे की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वायुसेना की टीम घटनास्थल पर पहुंचकर जेट के मलबे को इकट्ठा कर रही है। बताया गया कि यह विमान सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरकर ट्रेनिंग मिशन पर था।
पहले भी हो चुके हादसे
भारतीय वायुसेना के जगुआर विमानों के दुर्घटनाओं का यह पहला मामला नहीं है।
2 अप्रैल 2025 को गुजरात के जामनगर में रात के मिशन के दौरान जगुआर विमान क्रैश हुआ था। उसमें पायलट सिद्धार्थ यादव की मौत हुई थी।
7 मार्च 2025 को हरियाणा के अंबाला के पास एक और जगुआर विमान हादसे का शिकार हुआ था, हालांकि पायलट सुरक्षित बाहर निकल गया था।
सेपेकैट जगुआर पहले ब्रिटेन और फ्रांस की वायुसेनाओं में इस्तेमाल होता था। भारतीय वायुसेना अब इसे ग्राउंड अटैक और ट्रेनिंग मिशनों के लिए उपयोग करती है।
फिलहाल वायुसेना की जांच टीम हादसे की वजहें जानने में जुटी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर यह दुर्घटना कैसे हुई।
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