जयपुर
राजस्थान के न्यायिक जगत में अब एक नया अध्याय उस समय जुड़ गया जब एक जिले में बैठे जज ने दूसरे जिले में बैठे गवाह की बात सुनी और यह सब अदालती प्रक्रिया का हिस्सा बन गई। राजस्थान के न्यायिक जगत की यह अदभुत प्रक्रिया जयपुर मेट्रोपोलिटन कोर्ट के वीसी रूम और उससे जुड़े गंगानगर कोर्ट में देखने को मिली।
दरअसल अब न्यायालय में गवाह अपना बयान वीसी के माध्यम से दर्ज करा सकते हैं। उच्च न्यायालय में वीसी के जरिए दिए जाने वाले बयान को लेकर 2 अगस्त, 2021 को रूल्स नोटिफाई कर दिए थे। राज्य सरकार ने इसके लिए सीआरपीसी में संशोधन किया है। इसके बाद अब गवाह वीसी के जरिए अपनी गवाही दे सकते हैं। इस नए सिस्टम से सभी का समय और धन दोनों की ही बचत होगी।
राजस्थान में इस नए सिस्टम से गवाही की शुरुआत जयपुर के बनीपार्क कोर्ट और गंगानगर कोर्ट के न्यायाधीशों ने कर दी है। इन दोनों न्यायाधीशों की मदद और पहल से यह कार्य सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
आईपीएस अफसर ने दर्ज कराया बयान
एसओजी में डीआईजी शरत कविराज पहले आईपीएस अधिकारी बने जिन्होंने इस सुविधा का उपयोग कर अपना बयान दर्ज कराया। कविराज ने एसीबी मामले में अभियोजन स्वीकृति देने के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में जयपुर मेट्रोपोलिटन कोर्ट के वीसी रूम में उपस्थित होकर गंगानगर कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। इस मामले का ट्रायल गंगानगर कोर्ट में चल रहा है।
डीआईजी शरत कविराज का कहना है कि मुझे गंगानगर कोर्ट में गवाह के रूप में बयान देने के लिए करीब 1000 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती तथा तीन दिन सरकारी कार्यालयों में अनुपस्थित रहना पड़ता। अब राज्य सरकार एवं उच्च न्यायालय की इस पहल से समय की बचत होगी एवं ट्रायल भी तेज होगा।
ये होगा फायदा
गवाह को पहले कई किलोमीटर की यात्रा के बाद कोर्ट में उपस्थित होकर बयान दर्ज करने पड़ते थे। इसमें उसका धन और समय दोनों ही खर्च होते थे।अब वीसी से बयान दर्ज होने की प्रक्रिया शुरू हो जाने से उन्हें इस समस्या से निजात मिल जाएगी निजात।
हाईटेक गवाही के लिए सभी जिला न्यायालयों को वीसी रिमोट पाइंट से जोड़कर स्टूडियो बनाया गया है। इन स्टूडियो पर कॉर्डिनेटर नियुक्त किया गया है, जो कोर्ट का कर्मचारी है। गवाह जिला न्यायालय के परिसर के इसी वीसी रिमोट पाइंट के स्टूडियो में जाकर वीसी के माध्यम से अपना बयान दर्ज करा सकेगा।
उच्च न्यायालय द्वारा वीसी के रूल्स नोटिफाई करने के बाद समय पर गवाह का बयान हो सकेगा। सरकारी खर्चे एवं समय की बचत होगी तथा ट्रायल भी जल्द ही संभव होगा। पारदर्शिता के साथ पूरी प्रक्रिया संम्पन्न होने से कोर्ट केस के लंबित मामलों में कमी आएगी।
वीसी से बयान की यह होगी प्रक्रिया
पीपी को अदालत से वीसी के माध्यम से साक्ष्य की अनुमति देने का अनुरोध करना होगा। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद कोर्ट के अधिकारी वीसी स्लॉट बुक करेंगे। इसके बाद गवाह को जिला कोर्ट परिसर के वीसी रिमोट पाइंट पर आना होगा और वहां से फिर अपने बयान दर्ज करा सकेगा। इस प्रक्रिया में केस का विवरण मेल द्वारा भेजा जाता है जिसे हस्ताक्षरित और स्केन करके वापस कर दिया जाता है तथा मूल हस्ताक्षरित दस्तावेज गवाह के आईडी एवं दस्तावेज के साथ भौतिेक रूप से भेजा जाता है।
1 हज़ार 242 कोर्ट के लिए वीसी का हार्डवेयर इन्स्टॉल
प्रदेश की 1 हज़ार 242 कोर्ट के लिए वीसी का हार्डवेयर इन्स्टॉल किया गया है। माइक्रोसाफ्ट टीम का लाईसेंस एवं फाइबर इंटरनेट कनेक्टिविटी दी गई है। द्वितीय फेज में तालुका कोर्ट में वीसी रिमोट पाइंट बनाया जाएगा। सरकारी ऑफिस एवं अस्पताल को भी इस सिस्टम से जोड़ने की योजना है।
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