भरतपुर में पानी के लिए किसानों की हुंकार, सिंचाई संकट पर सरकार से बड़े फैसलों की मांग

उच्चैन

भरतपुर जिले में सिंचाई और पेयजल संकट को लेकर शुक्रवार को पिचूना और बहरावली मदरियापुरा में विभिन्न गांवों के किसानों की सभा आयोजित हुई। किसानों ने एकजुट होकर पांचना बांध के पानी का न्यायपूर्ण बंटवारा करने और बाणगंगा नदी को गम्भीर से जोड़ने की मांग सरकार के सामने रखी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

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पूर्व सांसद पं. रामकिशन ने सरकार पर साधा निशाना
सभा को संबोधित करते हुए भरतपुर के पूर्व सांसद पं. रामकिशन ने चुनावी खर्चों में हो रहे भारी भ्रष्टाचार पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अब चुनाव इतने महंगे हो गए हैं कि आम आदमी चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं रह गया है। उन्होंने चुनाव सुधारों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अधिक खर्च करने वाले उम्मीदवारों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

पं. रामकिशन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बढ़ती बेरोजगारी पर भी चिंता जताई। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि AI लागू करने से पहले इसके लाभ और हानि पर गंभीर विचार किया जाए, क्योंकि इससे भविष्य में मनुष्य की उपयोगिता पर ही सवाल खड़ा हो सकता है।

उन्होंने देश में अर्थिक असमानता पर चिंता जताते हुए कहा कि 157 खरबपतियों की संपत्ति देश की 40% आबादी की संपत्ति के बराबर पहुंच गई है। उन्होंने सरकार पर किसानों की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और कहा कि जहां किसान एमएसपी और कर्जमाफी की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार उद्योगपतियों के 16 लाख करोड़ रुपए के कर्ज माफ कर रही है।

भरतपुर में विकास के नाम पर भेदभाव?
पूर्व सांसद ने वसुंधरा राजे सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि “जब उन्होंने 13 जिलों के लिए इआरसीपी योजना बनाई थी, तो वर्तमान सरकार भरतपुर की दो नदियों को क्यों नहीं जोड़ सकती?” उन्होंने कहा कि बाणगंगा को गंभीर से जोड़ने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है, फिर भी सरकार इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रही।

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स्थायी समाधान के बिना खेती बर्बाद
किसानों ने इआरसीपी – पीकेसी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना – प्रथम चरण) के तहत भरतपुर की सूखी नदियों को जोड़ने की मांग करते हुए कहा कि बिना पानी के खेती चौपट हो रही है। किसान नेता इन्दल सिंह जाट ने सरकार से मांग की कि भरतपुर जिले को प्राथमिकता में रखते हुए सिंचाई और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा, हम 2007 से पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और जरूरत पड़ी तो आगे भी यह लड़ाई जारी रहेगी।

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किसानों की मुख्य मांगें

✅ पांचना बांध के पानी का न्यायसंगत बंटवारा
✅ बाणगंगा को गंभीर नदी से जोड़ने की परियोजना को हरी झंडी
✅ भरतपुर जिले को सिंचाई और पीने के पानी की सुविधा प्रथम चरण में शामिल करना
✅ पुराने सिंचाई सिस्टम को दुरुस्त कर नए और अतिरिक्त बांधों का निर्माण
✅ डीएलसी दरों को कम कर किसानों के आर्थिक शोषण पर रोक
✅ एमएसपी को कानूनी जामा पहनाना और खेती की लागत को नियंत्रित करना

किसान बोले-नेता चुप क्यों?
सभा में मौजूद किसानों ने कहा कि केवल पूर्व सांसद पं. रामकिशन और किसान नेता इन्दल सिंह जाट ही लंबे समय से किसानों के हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं, बाकी सभी दलों के नेता चुप्पी साधे बैठे हैं। किसानों ने स्पष्ट कहा कि पानी किसी जाति-धर्म की जरूरत नहीं, बल्कि सभी की बुनियादी आवश्यकता है।

सम्मेलन में शामिल प्रमुख किसान नेता एवं वक्ता
सभा की अध्यक्षता सरपंच विष्णु दत्त महाकरिया (पिचूना) और मोतीलाल कुशवाह (बहरावली) ने की, जबकि संचालन कुंजबिहारी शर्मा और युवा नेता सतीश मीणा पीपरी ने किया।
इस मौके पर पूर्व जिला परिषद सदस्य रामबाबू धाकड़ बीरमपुरा, सतीश पीपरी, रामकेश पटैल, छोटे लाल मिलकपुर, भूदेव शर्मा, झम्मन लाल, भूदेव बंधा, सीता राम शर्मा, दुलीचंद शर्मा, अशोक शर्मा, सुरेश उपाध्याय, कुंज बिहारी बहरावली, गंगाराम, विष्णु तिवारी, जगदीश सैक्टरटी, दशरथ सिंह, तुलाराम समेत अनेक किसान नेताओं ने अपने विचार रखे। और कहा कि किसानों का संघर्ष जारी रहेगा और यदि सरकार जल्द समाधान नहीं निकालती, तो इस आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा।

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