भरतपुर
सर्द हवाओं के आरंभ के साथ प्रवासी पक्षियों का जत्था एक बार फिर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) और आसपास की कृषि भूमि पर उतरने लगा है। इस बार फोटोग्राफरों और पक्षी प्रेमियों का ध्यान खींचने वाली मुख्य प्रजाति है रूडी शेलडक, जिन्हें आम बोलचाल में ब्राह्मणी बतख कहा जाता है। चमकदार नारंगी-भूरे रंग का शरीर, सफेद सिर-गर्दन और नर के गले पर काली पट्टी — यह पक्षी दूर से ही पहचान में आ जाता है।
ब्राह्मणी बतख हर साल मध्य एशिया, मंगोलिया, तिब्बत और साइबेरिया की ऊँची झीलों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भरतपुर पहुंचती है। उद्यान के पास खेतों में भरा मौसमी पानी इन पक्षियों के लिए उत्तम शीतकालीन निवास साबित होता है। झुंड के रूप में उड़ना और भोजन की तलाश इनके स्वभाव का हिस्सा है।
सुबह की धुंध में इस मनोहारी दृश्य को वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीपक मुदगल ने कैमरे में कैद किया। उन्होंने बताया —
“लगभग 20-25 ब्राह्मणी बतखों का झुंड कम ऊँचाई पर खेतों के ऊपर उड़ रहा था। वी-आकार की सामूहिक उड़ान और पंखों की चमक बेहद आकर्षक थी। ये छोटे जलीय जीव, घास के बीज और कीट खाकर फसलों को प्राकृतिक रूप से संतुलित भी रखते हैं।”
इधर डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि इस साल उद्यान को पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों के लिए विशेष रूप से व्यवस्थित किया गया है।
उन्होंने कहा —“प्रवासी प्रजातियों का आगमन तेज़ी से शुरू हो गया है। वन विभाग ने बैठने की बेंच, हाइट, फोटो हट और सफारी की व्यवस्थाएँ पहले ही पूरी कर ली हैं। इस बार पर्यटकों की संख्या बढ़ने की संभावना है।”
मुदगल के अनुसार उद्यान के बाहर कई जगह जलभराव हो चुका है, जिससे कई प्रजातियाँ फिलहाल खुले खेतों में भी दिखाई दे रही हैं। “फसल बुआई के बाद अधिकांश पक्षी उद्यान के भीतर शिफ्ट हो जाएंगे और तब केवलादेव एक बार फिर पंखों की धुन से गूंज उठेगा।”
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