तालाबों में लौटीं ज़िंदगी की उड़ान | भरतपुर के जल क्षेत्रों में नृत्य करते दिखे दर्जनों कार्मोरेंट


बरसात के बाद छोटे जलकुंड बने पक्षियों का आश्रय, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों ने कैद किए दुर्लभ क्षण


भरतपुर 

 मानसून के बाद भरतपुर (Bharatpur) शहर के चारों ओर बने छोटे तालाब और जलभराव वाले क्षेत्र इन दिनों प्रकृति की एक खूबसूरत झलक पेश कर रहे हैं। यहां दर्जनों कार्मोरेंट (Cormorant) पक्षी पानी में तैरते, गर्दन झुकाकर मछलियां पकड़ते और फिर चमकदार चपलता के साथ उड़ान भरते दिखाई दे रहे हैं। काले चमकदार पंख और लंबी गर्दन वाले ये पक्षी कभी कतार में तैरते हैं, तो कभी अचानक पानी से फुर्ती के साथ ऊपर उठकर पंख फैलाते हैं— मानो आसमान और पानी के बीच कोई अदृश्य नृत्य चल रहा हो।

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सुबह की नरम धूप और हल्की ठंडक में यह दृश्य और भी जीवंत हो उठता है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीपक मुदगल ने इन क्षणों को सुबह-सुबह अपने कैमरे में कैद किया। उन्होंने बताया—

“केवलादेव उद्यान के बाहर बने छोटे जलकुंडों तक पहुँचना आसान नहीं था। काई, कीचड़ और ऊबड़-खाबड़ जमीन ने कई बार रोकने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही पक्षियों को सहज होकर तैरते देखा— सारी थकान मिट गई। घंटों इंतजार के बाद सही फ्रेम मिला।”

वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीपक मुदगल

इसी दृश्य पर नजर बनाए हुए भरतपुर के वरिष्ठ वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर कैलाश नवरंग कहते हैं—

“भरतपुर की ये छोटी झीलें सिर्फ पानी नहीं हैं, ये पक्षियों का घर हैं। कार्मोरेंट को यहाँ सहजता से देखना इस बात का संकेत है कि हमारी जैव विविधता जिंदा है। केवलादेव पार्क के बाहर भी ऐसे प्राकृतिक आवासों को बचाना जरूरी है।”

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने पुष्टि की कि कार्मोरेंट स्थानीय निवासी पक्षी हैं। उन्होंने कहा—

“ये हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उद्यान के भीतर ही नहीं, शहर के आसपास के जल क्षेत्रों में भी इनकी सक्रियता हमारी पर्यावरणीय मजबूती को दर्शाती है। विभाग इनके संरक्षण को लेकर सजग है।”

भरतपुर के ये शांत जल क्षेत्र इन दिनों सिर्फ पक्षियों के लिए ही नहीं, बल्कि प्रकृति प्रेमियों, फोटोग्राफी करने वालों और सुकून तलाशने वालों के लिए भी एक मोहक ठिकाना बने हुए हैं— जहाँ सुबह की हवा धीमी है और प्रकृति अपने सबसे सहज रूप में दिखाई देती है।

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