वैर (भरतपुर)
तत्कालीन बैंक एसबीबीजे वैर शाखा के लोन धोखाधड़ी के एक आठ साल पुराने प्रकरण में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दलाल ओमप्रकाश जाटव पुत्र मंगल जाटव निवासी ग्राम लुहासा को एक साल का साधारण कारावास तथा चालीस हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है।
यह था मामला
ग्राम खोहरी की मज्जो फकीर ने न्यायालय अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैर में 7अगस्त, 2013 को अपने अधिवक्ता मुरारी शर्मा एडवोकेट के जरिए एक इस्तगासा इस आशय का पेश किया था कि 10-2-2012 को ग्राम लुहासा का ओमप्रकाश जाटव उसके गांव आया और कहा कि भैंस खरीद के लिए बैंक शाखा वैर से ऋण पास करा देगा। शाखा वैर के फील्ड मैनेजर हरगोविंद मीणा और बैंक प्रबंधक गुरूचरन सिंह से मेरी अच्छी जानकारी है। उसने बदले में आठ हजार रुपए तथा अपने फोटो, पहचान पत्र, राशनकार्ड की छाया प्रति मांगी। इस पर मज्जो ने अभियुक्त ओमप्रकाश जाटव को ग्राम खोहरी के बार्ड पंच पतराम तथा ग्राम की महिला गीतादेवी व गुड्डी देवी की मौजूदगी में आठ हजार रुपए तथा एक हजार भैंस छपाई के अलग से ओमप्रकाश को नकद दे दिए।
अंगूठा निशानी करा बोल दिया लोन पास
इसके बाद आरोपी ओमप्रकाश ने उसे 7-3-2012 को उक्त बैंक शाखा वैर में बुलाया जहां बैंक ऋण राशि को हड़पने की नीयत से बैंक के फील्ड मैनेजर हरगोविंद मीणा तथा बैंक प्रबंधक गुरूचरन सिंह तथा बैंक दलाल ओमप्रकाश ने मज्जो को भैंस ऋण दिलाने के नाम पर बैंक के दस्तावेजों पर उसकी अंगूठा निशानी करा ली और कह दिया कि तुम्हारा 49, 000 हजार रुपए का ऋण पास हो गया है। तुम्हें शीघ्र ही भैंस खरीद के लिए 49,000 रूपए की राशि का चैक या भैंस दोनों में से एक चीज ग्राम खोहरी के पते पर पहुंचा दी जाएगी।
लोन वसूली का नोटिस आया तब खुला राज
इसके बाद मज्जो लगातार बैंक शाखा वैर के चक्कर काटती रही लेकिन ना तो उसे 49 हजार रूपए का भैंस ऋण उपलब्ध कराया और ना ही उसे भैंस उपलब्ध कराई गई बल्कि एक साल बाद उसे बैंक शाखा का नोटिस मिला जिसमें 31,995/ रुपए की राशि मय ब्याज उक्त बैंक शाखा में जमा कराने के लिए कहा गया।
नोटिस मिलते ही वह सदमे में आ गई और अपने एडवोकेट के माध्यम से न्यायालय में इस्तगासा पेश किया जहां प्रकरण की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार बागडी ने भादस की धारा 420 के तहत अभियुक्त ओमप्रकाश को दोषी ठहराया जाकर एक वर्ष के साधारण कारावास एंव 40,000/रूपए के अर्थ दण्ड से दण्डित किए जाने का फैसला सुनाया गया। अदम अदायगी जुर्माना अभियुक्त दो माह का साधारण कारावास अतिरिक्त रूप से भुगतेगा।
पुलिस ने अपनी जांच में हरगोविंद मीणा एंव बैंक प्रबंधक को मुलजिम नहीं माना। मात्र ओमप्रकाश के खिलाफ़ अपनी जांच धारा 202की पेश की थी।
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