बैंक कर्मचारियों ने ही 212 निष्क्रिय खातों को एक्टिव कर निकाल लिए 44 लाख | इस सरकारी बैंक की सात शाखाओं में तीन साल से चल रहा था खेल, गिरोह ऐसे हुआ बेनकाब

भोपाल (Bhopal) में बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के कर्मचारियों द्वारा 212 निष्क्रिय खातों को अवैध रूप से सक्रिय कर 44 लाख रुपये निकालने का तीन साल पुराना घोटाला उजागर। EOW ने दो कर्मचारियों सहित 7 पर केस दर्ज किया।

भोपाल 

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल में सामाजिक सुरक्षा पेंशन खातों के नाम पर तीन साल चली एक ऐसी बैंकिंग ठगी उजागर हुई है, जिसे अंजाम देने वाले कोई बाहरी गिरोह नहीं, बल्कि बैंक ऑफ इंडिया के ही कर्मचारी निकले। EOW भोपाल ने दो कर्मचारियों सहित कुल 7 लोगों पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है।

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पूरे खेल की नींव थी— ‘निष्क्रिय खाते सक्रिय करो और पैसा निकाल लो’, और इसी रणनीति के तहत 212 बंद पड़े खातों से 44 लाख रुपये धीरे-धीरे उड़ाए गए।

कैसे खेला गया पूरा ‘इन-हाउस बैंक फ्रॉड’

EOW की जांच में सामने आया कि आरोपित बैंक कर्मियों ने:

  • अपने Finacle Login ID और सहकर्मियों की ID का दुरुपयोग किया
  • नियम तोड़ते हुए खुद ही प्रस्तावक (Proposer) और अनुमोदक (Approver) बन बैठे
  • वृद्ध, विधवा और दिव्यांग पेंशनरों के खातों को टारगेट किया
  • जहां मोबाइल नंबर दर्ज नहीं थे और खातों में हलचल भी नहीं होती थी
  • राशि 5 से 10 हजार तक जमा होती रहती थी और किसी को भनक नहीं लगती थी

रकम निकालने का पैटर्न भी तय था—
70% बैंक कर्मचारी रखते थे, 30% उन लोगों को देते थे जिनके खातों का इस्तेमाल मनी-रूटिंग के लिए किया जाता था।

खेल कहाँ-कहाँ चलता रहा?

ठगी का नेटवर्क बैंक ऑफ इंडिया की कुल 7 शाखाओं में फैला था—
कैटेगराइज्ड मार्केट, हमीदिया रोड, एमपी नगर, भेल एरिया, प्रोफेसर्स कॉलोनी, सैफिया कॉलेज समेत कई लोकेशनों में यह गड़बड़ी पकड़ में आई।

खेल बेनकाब कैसे हुआ?

कहानी की असली चाबी बनी 18 मार्च 2019 की घटना। सैफिया कॉलेज शाखा की भगवती देवी ने अपने मृत पति के खाते से निकासी की शिकायत की। आंतरिक जांच में पाया गया कि लेनदेन अजय सिंह परिहार और दीपक जैन द्वारा किया गया था।
इसके बाद:

  • बैंक विजिलेंस
  • विभागीय जांच
  • फिनैकल लॉग
  • CCTV फुटेज
  • ATM निकासी रिपोर्ट
  • और ट्रांजैक्शन ट्रेल

सब मिलकर इस सिलसिलेवार ठगी को उजागर करते चले गए। जांच में यह भी सामने आया कि दीपक जैन ने अकेले 64 खाते दूसरों की ID का उपयोग कर सक्रिय किए थे।

EOW का बयान

DG उपेंद्र जैन के अनुसार—
“कर्मचारियों ने अपनी पोस्ट का गलत फायदा उठाया और पैसे अपने रिश्तेदारों व परिचितों के खातों में ट्रांसफर किए। मामला गंभीर बैंकिंग अपराध की श्रेणी में आता है।”

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