त्रिशूर (केरल )
CPM लीडर्स कर रहे थे कंट्रोल
केरल के त्रिशूर जिले के इरिंजालकुडा क्षेत्र में स्थित करुवन्नूर सहकारी बैंक में तीन सौ करोड़ का घोटाला सामने आया है। वामपंथी लेफ्ट पार्टी संचालित इस बैंक में हुए इस गबन को वामपंथी पार्टी के सदस्यों ने ही अंजाम दिया। रिपोर्ट के अनुसार पार्टी मेंबर के नाम पर करोड़ों रुपए का कर्ज बांट दिया गया। बैंकिंग प्रबंधन द्वारा करीब 300 करोड़ रुपए के फ्रॉड का अनुमान लगाया जा रहा है। पुलिस ने छह बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है। आरोपों के बाद, मार्क्सवादी पार्टी शासित बैंक की 13 सदस्यीय समिति को भंग कर दिया गया है।
सहकारिता विभाग द्वारा संयुक्त रजिस्ट्रार को सौंपी गई रिपोर्ट और ग्राहकों की शिकायतों के आधार पर अधिकारियों ने धोखाधड़ी का शुरुआती आकलन किया है। जानकारी यह भी सामने आई है कि मामले के मुख्य आरोपित माने जा रहे बैंक के पूर्व मैनेजर एमके बीजू ने ही 379 कर्जों को पारित करने में अहम भूमिका अदा की थी। फ़िलहाल इरिंजालकुडा पुलिस ने मामले में बैंक के दस्तावेजों को जब्त कर लिया है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है।
पहले बताया था 120 करोड़ का घोटाला
बैंक फ्रॉड के मामले में पहले इरिंजालकुडा पुलिस ने 120 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत पर बैंक के पूर्व सचिव और प्रबंधक सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। लेकिन अब पता चला है कि घोटाला पहले की शिकायत से तीन गुना अधिक है। इसके अलावा इस फ्रॉड को छिपाने के लिए राजनीतिक प्रभाव के भी इस्तेमाल किए जाने का आरोप है।
निवेश से ज्यादा बांट दिया ऋण
रिपोर्ट के मुतबाकि घोटालेबाजों ने शुरू में 50,000 रुपए का कर्ज दिया और उसके बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के बाद 50 लाख रुपए का कर्ज लिया। जिनके नाम पर ये धोखाधड़ी की गई, वे सीपीएम के ही समर्थक बताए जा रहे हैं। घोटाला सामने आने के बाद अब वे कर्ज के जाल में फँस गए हैं।
शिकायत को कर दिया नजरअंदाज
इस केस में व्हिसिल ब्लोअर और बैंक के कर्मचारी रहे सुरेश कुमार के अनुसार, यदि सभी अवैध लेनदेन का हिसाब किया जाए तो कुल धोखाधड़ी 300 करोड़ रुपए से कहीं अधिक हो जाएगी। इस घपलेबाजी की शुरुआत साल 2003 में ही हो गई थी। उन्होंने 2005 में सीपीएम के सीनियर लीडर्स को इसके बारे में बताया था, लेकिन नेताओं ने शिकायत को नजरअंदाज कर दिया था।
नियमों की उड़ा दी धज्जियां
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैंक में 300 करोड़ रुपए का घोटाला पिछले 5 साल का है। ठीक से जांच हो तो घोटाले की और भी परतें खुलेंगी। सूत्रों के अनुसार घोटालेबाजों ने कर्ज बांटने के लिए नियमों की भी धज्जियां उड़ाकर रख दीं। सहकारी क्षेत्र के नियमों के अनुसार, कुल निवेश का केवल 70 प्रतिशत ही बैंक ऋण के रूप में जारी किया जा सकता है। लेकिन ऐसे सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए बैंक ने 2018-19 में 437.71 करोड़ रुपए के ऋण जारी किए, जबकि कुल निवेश सिर्फ 401.78 करोड़ रुपए ही था।
त्रिशूर स्थित सीपीएम के जिला सचिवालय से कुछ नेता बैंकिंग कार्यप्रणाली को कंट्रोल कर रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक सीपीएम के नेताओं को इसकी जानकारी थी। बावजूद इसके 100 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। सीपीएम ने सहकारी रजिस्ट्रार के ऑफिस में महत्वपूर्ण पदों पर अपने लोगों को ही रखा था।
सूत्रों ने बताया कि ऑडिट के निष्कर्षों के आधार पर बैंक के अध्यक्ष ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिकायत के अनुसार अभी तक करीब ₹100 करोड़ की धोखाधड़ी का पता चला है।
अधिकारी ने बताया इसे एक धोखाधड़ी माना गया है। जो पिछले कई सालों से जारी थी इसलिए, हम मामले की विस्तृत जांच और ऋण दस्तावेजों की जांच के बाद ही धोखाधड़ी के सही स्तर का पता लगा सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि बैंक के सचिव सहित छह बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिन्हें आरोपों के चलते पहले ही निलंबित कर दिया गया है। शिकायत तीन सौ करोड़ के घोटाले की है।
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