चंडीगढ़
महीने भर कोरोना से जूझने के बाद फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह जिंदगी की जंग हार गए हैं। 5 दिन पहले उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का देहांत भी कोरोना की वजह से हो गया था। मिल्खा सिंह ने शुक्रवार रात 11:30 बजे 91वीं साल में अपनी अंतिम सांस ली। वहीं निर्मल मिल्खा सिंह 85 वर्ष की थीं। निर्मल भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी थीं। साथ ही वे पंजाब सरकार में स्पोर्ट्स डायरेक्टर (महिलाओं के लिए) के पद पर भी रही थीं। मिल्खा सिंह के करियर का सबसे खास लम्हा तब आया जब वह1960 के रोम ओलिंपिक में वह सेकंड के 100वें हिस्से से पदक से चूक गए थे। उनकी सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। उनके परिवार में एक बेटा और तीन बेटियां हैं। उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह भी एक प्रसिद्ध गोल्फर हैं।
देर रात पूर्व भारतीय धावक के परिवार ने एक बयान में उनके निधन की जानकारी दी। परिवार ने लिखा, “बहुत दुख के साथ सूचित किया जा रहा है कि मिल्खा सिंह जी का निधन हो गया। उन्होंने बहुत संघर्ष किया लेकिन भगवान के अपने तरीके हैं और शायद यह सच्चा प्यार और साथ था कि हमारी मां निर्मल जी और अब पिताजी दोनों का निधन हो गया है। 5 दिनों की बात है।
चंडीगढ़ के PGIMER अस्पताल ने भी एक स्टेटमेंट जारी करके उनके निधन की सूचना दी। अस्पताल ने अपने स्टेटमेंट में बताया है ‘
मिल्खा सिंह 3 जून को PGIMER अस्पताल में भर्ती हुए थे। 13 तारीख तक यहां उनका कोरोना का इलाज चलता रहा। अंततः वे कोरोना नेगेटिव आ गए। हालांकि बाद में पोस्ट कोविड दिक्कतें आने के कारण उन्हें कोविड अस्पताल से मेडिकल ICU में भर्ती कर दिया गया। लेकिन डॉक्टरों की टीम के द्वारा की गई पूरी कोशिशों के बाद भी वे क्रिटिकल कंडीशन से बाहर नहीं आ सके और 18 जून की रात 11.30 बजे वे स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गए।‘ मिल्खा सिंह को 3 जून को ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण ICU में भर्ती कराया गया था। 20 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी 20 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए थे। 24 मई को दोनों को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 30 मई को परिवार के लोगों के आग्रह पर उनकी वहां से छुट्टी करवा ली गई थी और कुछ दिनों पहले ही वे घर लौटे थे। तब से उनका घर पर ही इलाज चल रहा था। इसके कुछ दिन बाद उनकी तबीयत फिर खराब हुई और ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा था। 3 जून को उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। वहीं, निर्मल कौर का इलाज मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था।
पीएम मोदी बोले- लाखों के लिए आप प्रेरणा रहेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिल्खा सिंह को श्रद्धांजलि दी है। भारतीय खेल का जब भी जिक्र होगा मिल्खा सिंह का नाम सबसे ऊपर लिखा जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया। मिल्खा ने असंख्य भारतीयों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी। मिल्खा के व्यक्तित्व ने उन्हें लाखों लोगों का चहेता बना दिया। उनके निधन से दुखी हूं।
मोदी ने अस्पताल में भर्ती मिल्खा सिंह से बात की थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 जून को मिल्खा सिंह से फोन पर बातचीत की थी और उनसे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। PM ने कहा था कि मिल्खा टोक्यो ओलिंपिक में भाग लेने वाले एथलीटों को आशीर्वाद देने और प्रेरित करने के लिए जल्द ही वापस आएंगे।
वह दौड़ता नहीं, उड़ता था
मिल्खा सिंह ने 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक में बिलकुल रॉ टैलंट के रूप में पहुंचे। उस साल उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। लेकिन आने वाले वर्षों में मिल्खा ने न सिर्फ खुद को निखारा और तराशा बल्कि कई रेकॉर्ड भी अपने नाम किए। 200 मीटर और 400 मीटर के नेशनल रेकॉर्ड मिल्खा के नाम थे।
हालांकि मिल्खा सिर्फ रोम ओलिंपिक के कारण ही महान नहीं थे। भारतीय ट्रैंक ऐंड फील्ड में मिल्खा की उपलब्धियां काफी अधिक हैं। मिल्खा सिंह की पहचान एक ऐसे एथलीट के रूप में थी जो बेहद जुनूनी और समर्पित थे। 1958 के टोक्यो एशियन गेम्स में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर में गोल्ड मेडल हासिल किया। 1964 में उन्होंने एशियाई खेल में 400 मीटर और 4×400 रिले में गोल्ड मेडल जीते। मेलबर्न ओलिंपिक में मिल्खा फाइनल इवेंट के लिए क्वॉलिफाइ नहीं कर पाए थे। लेकिन उनमें आगे बढ़ने की तलब थी। उन्होंने अमेरिका के चार्ल्स जेनकिंस से बात की। जेनकिंस 400 मीटर और 4×400 मीटर रिले के गोल्ड मेडलिस्ट थे। उन्होंने जेनकिंस से पूछा कि वह कैसे ट्रेनिंग करते हैं। उनका रूटीन क्या है। जेनकिंस ने बड़ा दिल दिखाते हुए मिल्खा के साथ सारी बातें साझा कीं।
महान एथलीट मिल्खा सिंह चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों के चैंपियन रहे। वह अभी भी एशियाई और राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले एकमात्र भारतीय एथलीट हैं।
52 साल तक कायम रहा मिल्खा का रिकॉर्ड
मिल्खा कॉमनवेल्थ गेम्स में ट्रैंक ऐंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बने। उनका यह रेकॉर्ड 52 साल तक कायम रहा। डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया ने 2010 के गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद विकास गौड़ा ने 2014 में सोने का तमगा हासिल किया। मिल्खा सिंह के सोने के तमगे का खूब जश्न हुआ। उनके अनुरोध पर तब के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था।
‘भाग मिल्खा भाग’
मिल्खा सिंह के जीवन पर 2013 में बॉलीवुड हिंदी फिल्म- ‘भाग मिल्खा भाग’ बनी थी। इसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया, जबकि लेखन प्रसून जोशी का था। मिल्खा सिंह की भूमिका में फरहान अख्तर नजर आए थे। अप्रैल 2014 में 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में इस फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म का पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी के लिए भी पुरस्कृत किया गया था।
पाकिस्तान में हुआ था जन्म
20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है) के एक सिख परिवार में मिल्खा सिंह का जन्म हुआ था। खेल और देश से बहुत लगाव था, इस वजह से विभाजन के बाद भारत आ गए और भारतीय सेना में शामिल हो गए। कुछ वक्त सेना में रहे लेकिन खेल की तरफ झुकाव होने की वजह से उन्होंने क्रॉस कंट्री दौड़ में हिस्सा लिया। इसमें 400 से ज्यादा सैनिकों ने दौड़ लगाई। मिल्खा 6वें नंबर पर आए। मिल्खा सिंह पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ के लिए गए। इसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन को देखकर पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘द फ्लाइंग सिख’ नाम दिया।
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