केंद्र सरकार ने पीएमओ के नए परिसर का नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ (SevaTeerth) कर दिया। 8 राज्यों में राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन किया गया। औपनिवेशिक निशान मिटाने की दिशा में बड़ा कदम।
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नई दिल्ली
भारत में औपनिवेशिक ठप्पों को हटाकर शासन तंत्र को ‘भारतीय आत्मा’ देने की मुहिम अब अगले पड़ाव पर पहुँच गई है। केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नए परिसर का नाम ‘सेवा तीर्थ’ कर दिया है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत तैयार यह विशाल परिसर आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया कार्यालय होगा। पहले इसे एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव कहा गया था।
अधिकारियों के मुताबिक, सेवा तीर्थ एक ऐसा राष्ट्रीय nerve-centre बनाया जा रहा है जहाँ सत्ता नहीं, सेवा सर्वोच्च होगी, और देश की प्राथमिकताएँ यहीं आकार लेंगी।
क्या-क्या बदला? पूरा नक्शा बदल गया
- सेवा तीर्थ-1: नया प्रधानमंत्री कार्यालय
- सेवा तीर्थ-2: कैबिनेट सचिवालय
- सेवा तीर्थ-3: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का दफ्तर
यानी केंद्र सरकार की सर्वोच्च निर्णय-प्रक्रिया अब एक नए ‘तीर्थ’ में संगठित होगी, जहाँ दर्शन नहीं, डिलीवरी मुख्य होगी।
राजभवन भी इतिहास… अब देशभर में ‘लोकभवन’
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों में मौजूद राजभवनों से ‘राज’ शब्द हटाने के अभियान को तेज कर दिया है। अब तक 9 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश अपने राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन / लोक निवास कर चुके हैं—
पश्चिम बंगाल, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात, त्रिपुरा और लद्दाख।
औपनिवेशिक असर खत्म करने की लंबी लिस्ट
- दिल्ली का राजपथ अब कर्तव्य पथ
- प्रधानमंत्री आवास अब लोक कल्याण मार्ग
- बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी से इंग्लिश ट्यून की विदाई
- सरकारी वेबसाइटें पहले हिंदी में खुलने लगीं
सरकार का साफ संदेश—
“राज नहीं, लोक; हुक्म नहीं, सेवा।”
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