अब अयोध्या तक चलेगी बुलेट ट्रेन, तैयारी शुरू | Now The Bullet Train will run to Ayodhya

नई हवा संवाददाता  |  नई दिल्ली

सुप्रीम  कोर्ट से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की हरी झंडी मिलने के बाद अब केन्द्र और उत्तरप्रदेश की सरकार  अयोध्या के सांस्कृतिक विकास के लिए जुट गई हैं। इसी कड़ी में अब दिल्ली और अयोध्या के बीच बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। इसके लिए हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की तैयारी शुरू हो गई है।


 

सुप्रीम  कोर्ट से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की हरी झंडी मिलने के बाद अब केन्द्र और उत्तरप्रदेश की सरकार  अयोध्या के सांस्कृतिक विकास के लिए जुट गई हैं। इसी कड़ी में अब दिल्ली और अयोध्या के बीच बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। इसके लिए हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की तैयारी शुरू हो गई है। दिल्ली से बनारस को बुलेट ट्रेन से जोड़ने के निर्णय के बाद यह मांग उठी थी कि प्रयागराज और अयोध्या को भी इस सुविधा से जोड़ा जाए। इसके बाद तय किया गया कि बुलेट ट्रेन से इन दोनों धार्मिक और सांस्कृतिक नगरियों को भी जोड़ा जाए। अब नई दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर’ के सर्वेक्षण में  मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, अयोध्या, प्रयागराज, भदोही को जोड़ दिया गया है। ये कॉरिडोर नोएडा से शुरू होकर बनारस तक जाएगा।

कॉरिडोर की खास बातें

    • यह कॉरिडोर करीब 865 किमी लंबा होगा।

    • बुलेट ट्रेन चलने के बाद  ट्रैक की यह दूरी कुछ घंटों की ही रह जाएगी।

    • इस तरह के कॉरिडोर बनने से कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

    • ट्रैक का अधिकतर हिस्सा एलीवेटेड या अंडरग्राउंड  होगा।  

    • यह कॉरिडोर के घनी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों, राजमार्गों, सड़कों, घाटों, नदियों और खेतों को कवर करेगा।

रेल कॉरिडोर का सर्वे हेलीकॉप्टर से कराया जाएगा। सर्वे को रक्षा मंत्रालय ने  हरी झंडी दे दी है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड यह हवाई सर्वे में लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) तकनीक से करेगा। यह बुलेट ट्रेन के ट्रैक के लिए होगा। इस  तकनीक का इस्तेमाल पहले मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए किया जा चुका है।


रेलवे परंपरागत तरीके से भी सर्वे करा सकता था , लेकिन उसमें करीब दो साल लग जाते। इसलिए  लिडार तकनीक से हवाई सर्वे कराने का निर्णय किया गया। हवाई सर्वे करीब  पन्द्रह सप्ताह में पूरा हो जाएगा।


परंपरागत सर्वे में  घनी आबादी वाले इलाके, सड़क, घाट, नदियों, खेतों  और जंगलों से बाधा आती है और समय भी ज्यादा लगता है। हवाई सर्वे में ऐसी कोई बाधा नहीं आती और समय भी बहुत कम लगता है। सटीकता भी बेहतर है।