B.ED की फर्जी डिग्री से 2823 शिक्षकों ने पाई थी नौकरी, हाईकोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी पर लगाई मुहर

प्रयागराज  

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उत्तर प्रदेश में 2823 सहायक शिक्षकों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फ़ैसले से झटका लगा है। इन शिक्षकों ने आगरा में स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से बीएड की फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल कर ली थी। ये शिक्षक सत्र 2004- 05 की बीएड डिग्री पर नौकरी कर रहे थे जांच में फर्जी डिग्री पाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सकार ने इन सहायक शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। इसे इन शिक्षकों ने अदालत में चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को विस्तार से सुना और इन सहायक शिक्षकों की सरकार की ओर से बर्खास्तगी को सही ठहराया। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इन सहायक शिक्षकों को भुगतान किए गए वेतन की वसूली के आदेश को रद्द कर दिया।

फ़र्ज़ी मार्कशीट वाले सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्त करने के सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट ने सही करार दिया है , जबकि ऐसे अभ्यर्थी जिन की मार्कशीट में छेड़छाड़ किए जाने की शिकायत थी उनके संबंध में निर्णय लेने का विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है । कोर्ट ने सहायक शिक्षकों की विशेष अपील खारिज कर दी गई है।

यह है मामला
मालूम हो कि 2004-05 में वित्तीय एवं गैर वित्तीय सहायता प्राप्त कालेजों में बीएड कोर्स की भर्ती परीक्षा हुई थी। विवि से संबद्ध 57 कालेज सहायता प्राप्त एवं 25 कालेज स्ववित्तपोषित हैं। इनमें कुल 8150 सीट हैं। काउंसलिंग एवं प्रबंधक कोटे से विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। कालेजों ने स्वीकृत सीटों से अधिक छात्रों का प्रवेश लिया। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर बीएड परिणाम घोषित कर दिया गया। हजारों लोगों ने अध्यापक भर्ती में आवेदन देकर नौकरी हासिल कर ली।

इस बीच फर्जी डिग्री की शिकायत की जांच एसआईटी को सौंपी गई, जिसने 14 अगस्त 2017 को रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट के आधार पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने फर्जी डिग्री वाले हजारों अध्यापकों की नियुक्ति रद्द कर बर्खास्त कर दिया। शिक्षकों की बर्खास्तगी को चुनौती दी गई थी। कई ऐसे अध्यापक निकले, जो फर्जी डिग्रीधारी थे। कोर्ट ने सरकार को कानूनी कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बीएड डिग्री को फर्जी करार देते हुए लगभग 2823 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी थी और भुगतान किए गए वेतन की वसूली शुरू कर दी थी। इसके खिलाफ शिक्षक कोर्ट पहुंच गए थे। एकल पीठ ने सरकार के निर्णय को सही करार दिया। सहायक शिक्षकों ने एकल पीठ के निर्णय को विशेष अपील में चुनौती दी। न्यायमूर्ति एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति एस.एस. शमशेरी की पीठ ने विशेष अपील पर सुनवाई के बाद सहायक शिक्षकों की बर्खास्तगी के सरकार के आदेश को उचित ठहराया। पर सहायक अध्यपकों से भुगतान किए गए वेतन की वसूली के आदेश को खण्डपीठ ने रद्द कर दिया है। एकल न्यायपीठ ने इस निर्णय को सही करार दिया है।

एकल जज ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर इन शिक्षकों की बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी थी। एकल जज के इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि बीएसए का बर्खास्तगी आदेश एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया है, जो गलत है। यह भी दलील दी गई कि पुलिस रिपोर्ट को शिक्षकों की बर्खास्तगी का आधार नहीं बनाया जा सकता है। कहा गया था कि बीएसए ने बर्खास्तगी से पूर्व सेवा नियमावली के कानून का पालन नहीं किया। जबकि सरकार की तरफ से बहस की गई कि इन शिक्षकों की बर्खास्तगी एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच कर रही एसआईटी को रिपोर्ट देने को कहा था। बहस यह भी की गई थी कि फर्जी डिग्री या मार्कशीट के आधार पर सेवा में आने वाले की बर्खास्तगी के लिए सेवा नियमों का पालन करना जरूरी नहीं है। 

812 शिक्षकों को अस्थाई राहत 
इसके साथ ही अंक पत्र से छेड़छाड़ के आरोपी और फर्जी डिग्री पर कारण बताओ नोटिस का जवाब देने वाले 812 सहायक अध्यापकों को थोड़ी राहत दी है। कोर्ट ने एकल पीठ की ओर से विश्वविद्यालय को दिए गए जांच के आदेश को सही माना है तथा जांच चार माह में पूरा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने तक इनकी बर्खास्तगी को स्थगित रखा जाए। इन्हेंं चार माह तक वेतन पाने व कार्य करने देने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने जांच की निगरानी कुलपति को सौंपते हुए कहा है कि जांच में देरी हुई तो उन्हेंं वेतन पाने का हक नहीं होगा। जांच की अवधि नहीं बढ़ेगी।

प्रतिक्रिया देने के लिए ईमेल करें  : ok@naihawa.com

 


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