कविता
सीए विनय गर्ग
रिश्ता नाम समर्पण का,
तो श्रद्धा नाम है अर्पण का।
साथ ये चलते जीवन भर,
तो भाव है बनता तर्पण का ll
कोई लाख दिखाए रिश्तों को,
नीयत तो पता चल जाती है।
चाहे मुँह पर मीठे बोल रखो,
सीरत तो पता चल जाती है।।
मैं कितना भी धीरज धर लूँ,
मन को निर्मल नीरज कर लूँ।
ये बात जो घात यूँ देती हैं,
कैसे मन में धीरज धर लूँ।।=2
ये भी पढ़ें
- जयपुर से प्रयागराज जा रही स्लीपर बस बीच सड़क पर पलटी, कई यात्री घायल | आवारा सांड को बचाने के प्रयास में आगरा-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हादसा
- 15 लाख में डमी कैंडिडेट से रेलवे में नौकरी दिलाई, पत्नी ने छोड़ा साथ; अब पति मांग रहा इंसाफ | रेलवे में नौकरी का फर्जीवाड़ा भी आया सामने
- MSJ कॉलेज में ABRSM ने मनाया कर्तव्य बोध दिवस
- अलवर से 1 करोड़, गुरुग्राम से 51 लाख कैश बरामद | त्रेहान ग्रुप के 19 ठिकानों पर IT की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों की टैक्स चोरी का खुलासा
- सुदृढ़ नागरिक और स्वस्थ समाज: नेताजी के आदर्शों पर मां शबरी राजकीय कन्या महाविद्यालय जयपुर में कार्यशाला