बसंत पंचमी
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डॉ. अलका अग्रवाल
बसन्त का पारस
पतझड़ के बाद
आनेवाला बसन्त
सुख का सन्देशा लाता है।
हर रात की होतीहै सुबह
कितनी भी काली रात हो
यही बताता है।
पतझड़ में धीरज धरने
वाला वृक्ष ही
बासन्ती बयार का
स्पर्श पाता है।
सुख पाने के लिए
दुख का दरिया
लांघ जाता है।
बसन्त के पारस के
स्पर्श से, पुष्पित हो
इठलाता, इतराता है।
(लेखक सेवानिवृत्त कॉलेज प्राचार्य हैं)
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