पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर ऐसा बयान दे डाला, जिसने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने महिला वकीलों को लेकर लिखा— ‘आंख मारो, फेवरबल ऑर्डर पाओ।’
काटजू की यह टिप्पणी देखते ही देखते वायरल हो गई और आलोचनाओं की बौछार शुरू हो गई। कानूनी बिरादरी से लेकर आम यूज़र्स तक, सभी ने इसे भद्दा और पूर्व जज के लिए अनुचित बताया। बढ़ते बवाल के बीच काटजू ने पोस्ट तो डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक उसके स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल चुके थे।
दरअसल, एक महिला वकील ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर यह सवाल किया था कि अदालत में प्रभावी तरीके से केस कैसे लड़ा जाए। इस पर काटजू ने जवाब देते हुए लिखा— ‘कोर्ट में जितनी भी महिला वकीलों ने मुझे आंख मारी, उन्हें फेवरबल ऑर्डर मिले।’ देखते ही देखते यह पोस्ट वायरल हो गया और चारों ओर से आलोचना शुरू हो गई।
प्रतिक्रियाएंऔर बवाल
कानूनी बिरादरी से लेकर आम यूज़र्स तक, सभी ने इस बयान को ‘भद्दा और अनुचित’ करार दिया। एक अधिवक्ता ने तो तंज कसते हुए लिखा— ‘ट्वीट तो डिलीट हो गया, लेकिन उनके दिए सभी आदेशों की समीक्षा होनी चाहिए।’
जस्टिस काटजू ने 2006 में सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर पदभार संभाला और 2011 में रिटायर हुए। इससे पहले वे मद्रास और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके थे। रिटायरमेंट के बाद 2014 तक उन्होंने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। आज भी वह सोशल मीडिया पर राजनीति, दर्शन और समाज से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार खुलकर लिखते हैं—और अक्सर विवाद का कारण बन जाते हैं।
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‘जज को आंख मारो, फेवरबल ऑर्डर पाओ’ | पूर्व जस्टिस काटजू का महिला वकीलों को अजीबोगरीब सुझाव, बवाल मचा तो पोस्ट डिलीट
नई दिल्ली
पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर ऐसा बयान दे डाला, जिसने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने महिला वकीलों को लेकर लिखा—
‘आंख मारो, फेवरबल ऑर्डर पाओ।’
काटजू की यह टिप्पणी देखते ही देखते वायरल हो गई और आलोचनाओं की बौछार शुरू हो गई। कानूनी बिरादरी से लेकर आम यूज़र्स तक, सभी ने इसे भद्दा और पूर्व जज के लिए अनुचित बताया। बढ़ते बवाल के बीच काटजू ने पोस्ट तो डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक उसके स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल चुके थे।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
दरअसल, एक महिला वकील ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर यह सवाल किया था कि अदालत में प्रभावी तरीके से केस कैसे लड़ा जाए। इस पर काटजू ने जवाब देते हुए लिखा—
‘कोर्ट में जितनी भी महिला वकीलों ने मुझे आंख मारी, उन्हें फेवरबल ऑर्डर मिले।’ देखते ही देखते यह पोस्ट वायरल हो गया और चारों ओर से आलोचना शुरू हो गई।
प्रतिक्रियाएंऔर बवाल
कानूनी बिरादरी से लेकर आम यूज़र्स तक, सभी ने इस बयान को ‘भद्दा और अनुचित’ करार दिया।
एक अधिवक्ता ने तो तंज कसते हुए लिखा—
‘ट्वीट तो डिलीट हो गया, लेकिन उनके दिए सभी आदेशों की समीक्षा होनी चाहिए।’
हालांकि काटजू ने आलोचनाओं के दबाव में पोस्ट हटा दिया, लेकिन तब तक उसके स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल चुके थे।
पुराने विवादित बयान
यह पहला मौका नहीं है जब काटजू अपने बयानों की वजह से विवादों में घिरे हों।
2015 में दिल्ली चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि किरण बेदी की बजाय शाजिया इल्मी को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था क्योंकि वह “ज्यादा खूबसूरत” हैं।
2020 में हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले पर उनकी यह टिप्पणी— “बलात्कार पुरुषों में एक प्राकृतिक प्रवृत्ति है”—भी कड़ी आलोचना का कारण बनी थी।
काटजू का बैकग्राउंड
जस्टिस काटजू ने 2006 में सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर पदभार संभाला और 2011 में रिटायर हुए। इससे पहले वे मद्रास और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके थे। रिटायरमेंट के बाद 2014 तक उन्होंने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। आज भी वह सोशल मीडिया पर राजनीति, दर्शन और समाज से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार खुलकर लिखते हैं—और अक्सर विवाद का कारण बन जाते हैं।
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