सुरक्षा कवच
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच अब भारत में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। यह तीसरी लहर बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है। एक्सपर्ट्स ने अंदेशा जताया है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो उसमें बच्चों पर भी काफी प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों के लिए अभी कोरोना का कोई वैक्सीन नहीं बनी है। कई ऐसी दवाएं हैं जो बच्चों को नहीं दी जा सकती है। इस स्थिति में बच्चों को लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे में तीसरी लहर का उफान आए उससे पहले ही यदि हम अपने बच्चों को सुरक्षा कवच पहना दें तो बच्चों को इस महामारी से दूर रखा जा सकता है। ऐसे खतरे को देखते हुए बेहद जरूरी है कि हम वयस्कों के साथ ही बच्चों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दें। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ तरीके बताए हैं, जिन्हें अपनाकर बच्चों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सकता है। कोरोना की तीसरी लहर से कैसे रखें बच्चों को सुरक्षित? यहां देखें पूरी जानकारी:
6 साल से बड़े बच्चों को लगाएं मास्क
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ का कहना है कि 6 से 11 साल तक के बच्चों को मास्क पहनाना इस बात पर निर्भर करता है कि वे जिस क्षेत्र में रह रहे हैं, वहां संक्रमण की स्थिति क्या है। अभिभावक बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में बताएं। बच्चों में बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
बच्चों में ये हो सकते हैं लक्षण
- लाल चकत्ते दिखें तो सतर्क हो जाएं
- बच्चे को 1-2 दिन से ज्यादा बुखार हो
- अगर बच्चे के शरीर और पैर में लाल चकत्ते हो जाएं
- बच्चे के चेहरे का रंग नीला दिखने लगे
- बच्चे को उल्टी-दस्त की समस्या हो
- अगर बच्चे के हाथ-पैर में सूजन आने लगे
ये तरीके अपनाकर बच्चों को दें सुरक्षा कवच
- फेफड़े मजबूत बनाने के लिए बच्चों को गुब्बारे फुलाने के लिए दें
- पीने के लिए गुनगुना पानी दें, इससे संक्रमण का खतरा कम होगा
- अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो उसे सांस वाली एक्सरसाइज कराएं
- बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए खट्टे फल दें
- बच्चों को बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन से बचाने के लिए हल्दी वाला दूध दें।
- बच्चों को इस बीमारी के बारे में और सावधानी के बारे में समझाएं, डराएं नहीं।
- इस बात पर नजर रखें कि इस घबराहट भरे दौर में आपके बच्चे मोबाइल-टीवी पर क्या देख रहे हैं।
- बच्चों को ध्यान लगाने, व्यायाम और सांस नियंत्रण की तकनीक सिखानी चाहिए। तनाव का असर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है।
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नवजात की ऐसे करें सुरक्षा
नवजात शिशुओं को ज्यादा लोगों के संपर्क में आने से रोकना चाहिए। बच्चे को जितने कम लोग हाथ में लेंगे, उतना ही अच्छा होगा। मां के लिए भी यह बेहद जरूरी है कि वह अपने हाथों को बार-बार धोती रहें। नवजात शिशु को दूध पिलाते समय भी मां मास्क पहने ताकि उसे इन्फेक्शन होने से बचाया जा सके। स्तन की सफाई रखें। छोटे बच्चों को मां के दूध से ही इम्यूनिटी मिलती है। इसलिए नवजात शिशु हो या एक डेढ़ साल तक का बच्चा, उसको ब्रेस्ट फीडिंग कराते रहना है, चाहे मां कोरोना पॉजिटिव हो। ऐसे में मां का मास्क पहनना बहुत ज़रूरी है। वह मास्क पहनकर और फेस शील्ड लगाकर बच्चे के सारे काम कर सकती है।
हल्का संक्रमण हो तो ये करें
लक्षण: गले में खराश लेकिन सांस लेने में तकलीफ नहीं, पाचन संबंधी दिक्कत। तो बच्चे को घर में ही आइसोलेट कर उपचार किया जा सकता है। अगर बच्चे को पहले से ही दूसरी समस्याएं हो तो डॉक्टरी मदद लें।
मध्यम प्रकार का संक्रमण तो ये तरीका अपनाएं
लक्षण: हल्के निमोनिया के लक्षण, ऑक्सीजन लेवल 90% या इससे नीचे चला जाना। ऐसी स्थिति में बच्चे को कोविड अस्पताल में भर्ती कराएं, शरीर में द्रव्य और इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा संतुलित रखें।
गंभीर संक्रमण हो तो ऐसा करें
लक्षण: गंभीर निमोनिया, ऑक्सीजन स्तर का 90% से नीचे चला जाना, थकावट, ज्यादा नींद।ऐसी हालत में फेफड़े-गुर्दे में संक्रमण की जांच, सीने का एक्स-रे कराना जरूरी, कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जाए जहां अंग निष्क्रिय होने संबंधी उपचार का प्रबंध हो। उपचार में रेमडिसिविर जैसे स्टेरॉयड का उपयोग डॉक्टरी निगरानी में हो।
अगर बच्चे को छोड़कर पूरे परिवार की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आती है तो यही समझें कि बच्चे को आइसोलेट करना है और बाकी लोग आपस में मिल सकते हैं। लेकिन सबको बच्चों के बीच डबल मास्क के साथ ही जाना होगा। अगर सबकी तबीयत बहुत ख़राब हो जाए तो किसी जवान रिश्तेदार को अलग कमरे में बच्चों के साथ रहने के लिए बुला सकते हैं, क्योंकि बुजुर्गों को रिस्क अधिक रहता है।
बच्चों को इसलिए नहीं लग रही वैक्सीन
बच्चों को वैक्सीन इसलिए नहीं लग रही क्योंकि इसकी अभी ट्रायल चल रही है। किसी भी वैक्सीन को लगाने से पहले उसका ट्रायल किया जाता है। अभी तक जो कोरोना वैक्सीन बनी हैं, उनका ट्रायल 16 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर ही किया गया है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने बच्चों को यह वैक्सीन न लगवाने की सलाह दी है।
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