सामने आने लगे मानवता के असली और क्रूर चेहरे

मुद्दा  

    गिरिराज गुप्ता, एडवोकेट


देश में महामारी के समय मानवता के विभिन्न  चेहरे सामने आने लगे हैं। कुछ आस जगाए रखते हैं। कुछ शर्मसार करते हैं। देश में महामारी का विकराल रूप दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई संख्या में सामने आने लगा है। मानवता के भी विभिन्न चेहरे जो हम सभी के बीच रहते हैं निकल-निकल कर के सामने आने लगे हैं। कुछ चेहरे ऐसे हैं जो मानवता हर हाल में जिंदा रहेगी, उसकी आस जगाए रखते हैं। और कुछ वह विद्रूप चेहरे हैं जिनके बारे में आदमी आसानी से सोच भी नहीं सकता कि यह मानवता को इतना शर्मसार करेंगे। महामारी के इस समय में जहां व्यक्ति अपने स्वयं व परिजन को बचाने के लिए जी जान से हर संभव प्रयास कर रहा है, ऐसे में वह चेहरे भी हैं जो अपने मित्र की उखड़ती हुई सांस बचाने के लिए उसकी एक सूचना पर 13 सौ किलोमीटर से अपनी गाड़ी में ऑक्सीजन का सिलेंडर रख कर बिना रुके, बिना थके अपने मित्र के पास हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं। कुछ अपने परिचित को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रातों-रात एक शहर से दूसरे शहर पहुंच जाते हैं और अपनी सभी धार्मिक मर्यादाओं को तोड़कर उसको प्लाज्मा उपलब्ध करा कर उसकी जान बचाने में कामयाब होते हैं।

देश में मानवता के रक्षक ऐसे भी चेहरे सामने आए हैं जो जिस गैस सिलेंडर के दम पर दिन भर कड़ी मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, जरूरत पड़ने पर उन्होंने उसको भी आवश्यकता मंद व्यक्ति को सहर्ष उपलब्ध करवा दिया। बहुत से लोगों ने महामारी के इस दौर में भविष्य की अनिश्चितता के लिए रखी गई जीवन भर की संपूर्ण जमा पूंजी को निकाल करके मानवता के हितार्थ सुपुर्द कर दिया। देश के बहुत से छोटे- बड़े उद्योगपतियों ने उनके प्लांट में बनने वाली ऑक्सीजन की संपूर्ण आपूर्ति को अपने उद्योगों में काम में ना लेकर मानवता की रक्षार्थ देश के विभिन्न हॉस्पिटल्स में अपने स्वयं के साधनों से उपलब्ध करवा दी। कोविड- काल में जहां परिवार का सदस्य भी, पॉजिटिव आए अपने परिवार जन को हाथ लगाने से दूर भाग रहा है, वहीं देश की सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं उनके लिए ऑक्सीजन व भोजन के लंगर चालू करके बिना डरे, बिना थके उनकी सेवा में जी-जान से जुटे हैं।

और देखिए ये क्रूर चेहरे…
दूसरी ओर वह क्रूर चेहरे हैं जो इन्हीं जीवन रक्षक ऑक्सीजन सिलेंडरों, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व जीवन रक्षक दवाइयों को सैकड़ों की संख्या में अपने घर के तहखाने व आलीशान फार्म हाउसों में बंद रख करके मनमानी कीमत पर बेच कर  संपत्ति इकट्ठा कर रहे हैं। कुछ लोग आज भी जीवन रक्षक इंजेक्शन के नाम पर उनमें ग्लूकोज व नमक भर कर बड़ी संख्या में लोगों को असली के नाम पर मुंह मांगे दामों पर बेच रहे हैं। एक ओर जहां व्यक्ति अपने परिजन के मृत शरीर को  श्मशान घाट तक ले जाने की सुविधा भी ना मिल पाने के कारण साइकिल पर ऑटो रिक्शा में और यह भी उपलब्ध ना होने पर स्वयं अपने कंधे पर लाद कर उसको जैसे-तैसे श्मशान घाट पहुंचाता है। वहीं दूसरी ओर वह नामी-गिरामी सफेदपोश भद्र पुरुष चेहरे हैं, जो समाज में बड़े-बड़े मंचों की शोभा बढ़ाते हैं। बड़े-बड़े समाज व राष्ट्र हित की बातें करते हैं। उनके आवास पर दर्जनों की संख्या में सर्वसुविधा युक्त एंबुलेंस लाइन लगाकर कवर में ढकी हुई शोरूम की भांति उनके आवास की शोभा बढ़ाती हुई पता नहीं और किस भयंकर महामारी का इंतजार कर रही है? और उनका यह कुकृत्य सामने आने पर उनका वक्तव्य कि उनके पास साल भर से इनको चलाने के लिए ड्राइवर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।

जहां एक ओर हमारे देश में फ्रांस के अत्याधुनिक राफेल विमान को उड़ाने के लिए पायलट उपलब्ध हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर एक सामान्य एंबुलेंस को चलाने के लिए बेरोजगारी के इस भीषण दौर में ड्राइवर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। यह कितना हास्यास्पद है। परंतु इन सब घटनाओं के बाद भी हम ऐसे लोगों को बेनकाब नहीं करेंगे, क्योंकि कोई राम की पार्टी का है, कोई रहीम की और कोई तथाकथित सेकुलर। हम सामने वाले को बड़े जोरशोर से शोर शराबा मचा करके चोर, चोर चिल्लाएंगे। परंतु वही चोर जो हमारी बगल में बैठा हुआ है, उसको छुपाने की पूरी नापाक कोशिश करेंगे। बस इसी संकीर्ण मानसिकता का फायदा यह लोग उठाते हैं।

सच को सच कहने का माद्दा चाहिए 
जब तक हमारे समाज की अपने परिवार व पार्टी से पहले देश की मानसिकता तैयार नहीं होगी, और सच को सच कहने का माद्दा  पैदा नहीं करेंगे, तब तक ऐसे लोग हमारी इसी मानसिकता का लाभ उठाते रहेंगे और मानवता को शर्मसार करते रहेंगे। इस महामारी के दौर में भी सरकारें अपनी कारगुजारियों से बाज आने के बजाय वह अपनी कमियों को ढकने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को दूसरे के पाले में डाल रही है। आज जो भी व्यक्ति जिस भी माध्यम से उनके इन लापरवाही भरे कार्यों को देश की जनता के सामने ला रहा है, उसको किसी भी तरीके से प्रताड़ित करने से बाज नहीं आ रही है। क्या ऐसा करने से उनकी खामियां ढक जाएंगी और जनता को राहत मिल जाएगी?

(लेखक राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय सह संयोजक हैं)




 

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